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FEMA के तहत अनिल अंबानी पर कार्रवाई की आशंका: जयपुर हाईवे प्रोजेक्ट में ₹100 करोड़ के हवाला लेनदेन पर ईडी की सघन जाँच

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द लोकतंत्र : देश के प्रसिद्ध व्यवसायी अनिल अंबानी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) का रुख लगातार कड़ा होता जा रहा है। वर्चुअल हाजिरी की उनकी अपील को नामंजूर किए जाने के बाद, उन्हें 17 नवंबर को ईडी के समक्ष पेश होने के लिए नया समन भेजा गया है। यह कार्रवाई मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत होने की आशंका है। यह घटनाक्रम देश के कॉर्पोरेट जगत में वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की बढ़ती सख्ती को दर्शाता है।

यह पूरा मामला जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है। पीटीआई सूत्रों के अनुसार, ईडी को इस बात का संदेह है कि इस परियोजना के पीछे लगभग ₹100 करोड़ की राशि हवाला के माध्यम से विदेश भेजी गई। एजेंसी ने इस संबंध में कई हवाला डीलरों और संबंधित व्यक्तियों से पहले ही पूछताछ कर ली है। यह जाँच भारत के आर्थिक क्षेत्र में अवैध वित्तीय लेनदेन के एक बड़े नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यद्यपि ईडी ने अनिल अंबानी के संबंध में कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन एजेंसी ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की करीब ₹7,500 करोड़ की संपत्ति कुर्क की है। ईडी के सूत्रों ने जानकारी दी है कि जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट में लगभग ₹40 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई है, जिस पर FEMA के तहत कार्रवाई की जा रही है। यह कार्रवाई सरकार के वित्तीय अनुशासन और आर्थिक अपराधों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता के रुख को दर्शाती है।

ईडी ने आगे खुलासा किया है कि सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के सहारे इन पैसों को दुबई पहुँचाया गया। इस जाँच से ₹600 करोड़ से ज्यादा का एक बड़ा इंटरनेशनल हवाला नेटवर्क सामने आया है। फर्जी कंपनियों का उपयोग करके धन को विदेश भेजना भारतीय कानूनी ढांचे, विशेष रूप से FEMA, का गंभीर उल्लंघन है। वहीं, अंबानी के प्रवक्ता की ओर से जाँच में पूरा सहयोग देने की बात कही जा रही है।

आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी बड़ी कार्रवाई यह संकेत देती है कि ईडी अब केवल मनी लॉन्ड्रिंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि FEMA के उल्लंघनों को भी गंभीरता से ले रही है। वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ श्री आलोक त्यागी के अनुसार, “यह उच्च-प्रोफ़ाइल जाँच कॉर्पोरेट जगत को स्पष्ट संदेश देती है कि नियामक अनुपालन (Regulatory Compliance) आवश्यक है। ₹7,500 करोड़ की संपत्ति की कुर्की और एक बड़े हवाला नेटवर्क का खुलासा यह बताता है कि एजेंसियाँ अब आर्थिक अपराधों के मूल तक पहुँचने के लिए गहराई से काम कर रही हैं।”

ईडी की कार्रवाई केवल जयपुर-रींगस प्रोजेक्ट तक सीमित नहीं है। हाल ही में रिलायंस पावर कंपनी पर कथित ₹68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के मामले में भी जाँच चल रही है और तीन गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। अनिल अंबानी को 17 नवंबर को ईडी के समक्ष पेश होना अनिवार्य है। यह घटनाक्रम भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में पारदर्शिता और कानूनी अनुपालन के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करता है।

Team The Loktantra

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