द लोकतंत्र : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने नौकरी बदलने वाले करोड़ों कर्मचारियों और उनके आश्रितों के हित में एक दूरगामी सर्कुलर जारी किया है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि अब दो नौकरियों के मध्य पड़ने वाले वीकेंड (शनिवार-रविवार) अथवा सरकारी अवकाशों को ‘सर्विस ब्रेक’ नहीं माना जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन विवादित मामलों के निपटारे के लिए लिया गया है, जहां कर्मचारी की अकस्मात मृत्यु के पश्चात नाममात्र के अंतराल (Gap) के कारण परिवार के बीमा दावों को खारिज कर दिया जाता था।
सर्विस कंटिन्यूटी की नई व्याख्या
ईपीएफओ ने लगातार सेवा (Continual Service) की परिभाषा को अधिक लचीला और कर्मचारी-अनुकूल बनाया है।
- यदि कोई कर्मचारी एक संस्थान से त्यागपत्र देकर दूसरे संस्थान में कार्यभार ग्रहण करता है और इस प्रक्रिया में साप्ताहिक अवकाश, राष्ट्रीय अवकाश, राजपत्रित अवकाश या प्रतिबंधित अवकाश आते हैं, तो सेवा में निरंतरता बनी रहेगी।
- सर्कुलर में यह भी उल्लेख है कि नौकरी बदलते समय 60 दिनों तक का अंतराल होने पर भी उसे निरंतर सेवा के दायरे में रखा जाएगा, ताकि बीमा और पेंशन के लाभ बाधित न हों।
EDLI योजना: आश्रितों के लिए आर्थिक सुरक्षा का नया मानक
एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) योजना के तहत मिलने वाले लाभों में भी महत्वपूर्ण वृद्धि की गई है।
- न्यूनतम भुगतान की गारंटी: अब कर्मचारी की मृत्यु पर उसके वैधानिक उत्तराधिकारी को कम से कम ₹50,000 का भुगतान अनिवार्य होगा। यह लाभ उन मामलों में भी देय होगा जहां कर्मचारी ने 12 माह की निरंतर सेवा पूरी न की हो अथवा पीएफ खाते में औसत बैलेंस ₹50,000 से कम हो।
- दावा खारिज होने पर रोक: पूर्व में अनेक दावे सिर्फ इसलिए खारिज हो जाते थे क्योंकि अधिकारियों ने सेवा अवधि की गणना करते समय छुट्टियों को ब्रेक मान लिया था। नया नियम इस प्रशासनिक गड़बड़ी को स्थायी रूप से समाप्त करेगा।
श्रम कानून विशेषज्ञों का मानना है कि ईपीएफओ का यह सक्रिय कदम भविष्य में मुकदमेबाजी को कम करेगा। नियम के अनुसार, यदि कर्मचारी की मृत्यु उसके अंतिम पीएफ अंशदान के 6 महीने के भीतर होती है और वह रिकॉर्ड में दर्ज है, तो परिवार बीमा राशि का हकदार होगा।
डिजिटलीकरण और सरल नियमों के जरिए ईपीएफओ न केवल कर्मचारियों का विश्वास जीत रहा है, बल्कि विपत्ति के समय में परिवारों को एक मजबूत सुरक्षा कवच भी प्रदान कर रहा है। यह सुधार भारतीय सामाजिक सुरक्षा तंत्र को अधिक मानवीय और कुशल बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

