द लोकतंत्र : द लोकतंत्र : भारतीय घरेलू फ्यूचर मार्केट में सोने की कीमतों ने एक बार फिर नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर 5 फरवरी, 2026 की एक्सपायरी वाला गोल्ड फ्यूचर सोमवार (1 दिसंबर) को 1,30,794 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर ट्रेड कर रहा था। यह कीमत पिछले कारोबारी दिन की बंद कीमत 1,29,504 रुपये से लगभग 1000 रुपये की तेज वृद्धि दर्शाती है। सोने की लगातार तेज होती कीमतें न केवल बाजार की गतिशीलता को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि भारतीय परिवारों की सांस्कृतिक और वित्तीय योजनाओं पर भी गहरा दबाव डाल रही हैं।
मांग और आपूर्ति का समीकरण: शादियों के सीजन का असर
भारत में सोना सिर्फ एक निवेश विकल्प नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- शादी-विवाह का प्रभाव: वर्तमान में देश भर में शादियों का सीजन चल रहा है, जिसके चलते सोने और चांदी की खरीददारी चरम पर है। शुभ अवसर पर सोना खरीदना शुभ संकेत माना जाता है, जिससे सोने की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।
- बढ़ती कीमतें: मांग में तीव्र वृद्धि और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण सोने की कीमतों में लगातार उछाल देखा जा रहा है। इसने आम लोगों की पहुँच से सोने को दूर करना शुरू कर दिया है।
आम खरीदार और निवेश पर बढ़ता दबाव
सोने की बढ़ती कीमतों का सबसे बड़ा असर मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ रहा है।
- पारिवारिक बजट पर बोझ: शादियों में गहनों की खरीद एक अनिवार्य परंपरा है, लेकिन रिकॉर्ड कीमतों के चलते खरीदार अब 24 कैरेट के बजाय 22 कैरेट या 18 कैरेट सोने की ओर रुख कर रहे हैं, या फिर गहनों का वजन कम करने को मजबूर हैं।
- निवेश के रूप में चुनौतियाँ: सोना हमेशा से भारतीयों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश का साधन रहा है। हालांकि, तेज कीमतें छोटे निवेशकों के लिए शारीरिक सोना खरीदना मुश्किल बना रही हैं। इसके कारण निवेशक गोल्ड ईटीएफ या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे डिजिटल विकल्पों की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं।
सोने के दाम में यह उच्चाटन वैश्विक मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में उत्पन्न हुआ है। जब तक वैश्विक बाजार में स्थिरता नहीं आती, घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में राहत मिलने की संभावना कम है। फिलहाल, उपभोक्ताओं को समझदारी के साथ खरीद की योजना बनानी होगी।

