द लोकतंत्र : बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का निदेशक मंडल बुधवार को एक अहम बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों के ‘हितों के टकराव’ (Conflict of Interest) से जुड़े मुद्दों पर गठित उच्चस्तरीय समिति की महत्वपूर्ण रिपोर्ट पर विचार करेगा। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक का उद्देश्य नियामकीय संस्था के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों को लागू करना है।
शीर्ष अधिकारियों के लिए सुझाए गए प्रमुख सुधार
उच्चस्तरीय समिति ने सेबी के शीर्ष अधिकारियों की ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए कई कड़े सुझाव दिए हैं।
- वरिष्ठ अधिकारियों के लिए संपत्तियों के सार्वजनिक खुलासे को अनिवार्य करना।
- सुरक्षित और गुमनाम व्हिसलब्लोअर सिस्टम की स्थापना करना।
- ‘मुख्य नैतिकता एवं अनुपालन अधिकारी’ (CECO) का एक नया पद सृजित करना।
- सेवानिवृत्ति के बाद दो साल तक किसी पद पर नियुक्ति पर रोक लगाना।
इसके अलावा, बैठक में एनआरआई के लिए केवाईसी मानकों में ढीलापन देने और शेयर बाजार में ‘समापन नीलामी सत्र’ (Closing Auction Session) शुरू करने जैसे बाजार से जुड़े अन्य सुधारों पर भी विचार होगा।
एनसीडीईएक्स को म्यूचुअल फंड कारोबार की मंजूरी
इस बीच, कमोडिटी बाजार से एक अहम खबर आई है कि नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) को म्यूचुअल फंड लेनदेन मंच शुरू करने के लिए सेबी से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।
- रणनीतिक विस्तार: यह एनसीडीईएक्स के लिए एक बड़ा रणनीतिक कदम है। इस नई सुविधा के जरिए निवेशक म्यूचुअल फंड की इकाइयों की खरीद और बिक्री कर सकेंगे। इस विस्तार से कमोडिटी आधारित कारोबार तक सीमित रहने वाला यह एक्सचेंज अब एक ‘मल्टी-एसेट एक्सचेंज’ के रूप में उभरने की दिशा में बढ़ रहा है।
- पारदर्शिता और सुरक्षा: इस प्लेटफॉर्म पर समाशोधन और निपटान (क्लियरिंग एंड सेट्लमेंट) की जिम्मेदारी एनसीडीईएक्स की सहायक कंपनी नेशनल कमोडिटी क्लियरिंग लिमिटेड (एनसीसीएल) निभाएगी। इससे लेनदेन प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षा और समयबद्ध निपटान सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि एनसीडीईएक्स का यह कदम निवेशकों को एक अतिरिक्त विकल्प देगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से म्यूचुअल फंड निवेश को और अधिक सुलभ बनाया जा सकेगा। सेबी बोर्ड की बैठक और एनसीडीईएक्स की नई पहल दोनों ही भारतीय पूंजी बाजार को अधिक संरचनात्मक और जवाबदेह बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत हैं।

