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यूक्रेन का अब तक का सबसे लंबी दूरी वाला सैन्य ऑपरेशन, रूस के एयरबेस पर ड्रोन हमला

Ukraine's longest-range military operation to date, drone attack on Russian airbase

द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : यूक्रेन और रूस के बीच चला आ रहा युद्ध अब एक ऐसे मोड़ पर पहुँच गया है, जहाँ से लौटना कठिन होता जा रहा है। यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने रूस के भीतर स्थित पाँच प्रमुख सैन्य एयरबेसों को एक साथ ड्रोन हमलों का निशाना बनाया, जिसमें दर्जनों रणनीतिक विमानों को नुकसान पहुंचाया गया। यह अब तक का सबसे लंबी दूरी वाला और तकनीकी रूप से जटिल ऑपरेशन बताया जा रहा है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि इसकी योजना एक साल, छह महीने और नौ दिन पहले शुरू की गई थी। यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (एसबीयू) के प्रमुख जनरल वासिल मालियुक ने इस ऑपरेशन को लीड किया और आज की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी। जेलेंस्की ने इसे ‘यूक्रेन की पूरी तरह आत्मनिर्भर सैन्य सफलता’ बताते हुए उन सभी लोगों का आभार जताया, जिन्हें ऑपरेशन के दौरान समय रहते रूसी क्षेत्र से बाहर निकाल लिया गया।

एक्स पर बोले जेलेंस्की, ये वो क्षण हैं जो भविष्य में इतिहास की किताबों में दर्ज होंगे

हमारे द्वारा अंजाम दिया गया यह ऑपरेशन सिर्फ सैन्य सफलता नहीं, बल्कि ऐतिहासिक उदाहरण भी है। मैंने यूक्रेन की सुरक्षा सेवा को निर्देश दिया है कि वे सार्वजनिक रूप से इस ऑपरेशन के वे पहलू साझा करें जिन्हें उजागर किया जा सकता है। ये वो क्षण हैं जो भविष्य में इतिहास की किताबों में दर्ज होंगे, जेलेंस्की ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में कहा।

इस हमले में 117 ड्रोन और उतने ही ऑपरेटरों का इस्तेमाल किया गया। यूक्रेन का दावा है कि करीब 40 रूसी विमान — जिनमें रणनीतिक क्रूज मिसाइल कैरियर भी शामिल हैं, या तो पूरी तरह नष्ट हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए। हालांकि, रूसी रक्षा मंत्रालय ने इसे एक ‘आतंकी हमला’ करार देते हुए कहा है कि अधिकांश ड्रोन हमलों को नाकाम कर दिया गया और आग पर काबू पा लिया गया है।

कूटनीति या टकराव? इस्तांबुल वार्ता से पहले यूक्रेन का संदेश

इस सैन्य कार्रवाई का समय भी रणनीतिक नजरिए से बेहद अहम है। तुर्किए के इस्तांबुल में होने वाली दूसरे दौर की शांति वार्ता से ठीक पहले हुआ यह हमला यूक्रेनी पक्ष द्वारा रूस पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। रूसी प्रतिनिधिमंडल, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी व्लादिमीर मेदिन्स्की शामिल हैं, पहले ही तुर्किए पहुँच चुका है।

लेकिन युद्ध विराम की संभावनाएँ अभी भी धुंधली हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई जहाँ एक ओर यूक्रेन की सामरिक क्षमताओं को दर्शाती है, वहीं यह युद्ध को और लम्बा खींच सकती है जिससे केवल यूक्रेन या रूस ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया प्रभावित हो सकती है।

क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है?

यह युद्ध अब सिर्फ दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं रही। अमेरिका, नाटो और पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता और रूस का चीन तथा कुछ एशियाई देशों से अप्रत्यक्ष समर्थन ये सब मिलकर एक नए वैश्विक ध्रुवीकरण को जन्म दे रहे हैं। ऊर्जा संकट, वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर असर और बढ़ती महंगाई जैसी समस्याएं इसका सीधा परिणाम हैं। अगर अब भी कोई निर्णायक वैश्विक कूटनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो सवाल सिर्फ युद्ध खत्म करने का नहीं रहेगा बल्कि सवाल यह होगा कि क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

Team The Loktantra

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