द लोकतंत्र : रूस के राजनीतिक परिदृश्य पर पिछले 25 वर्षों से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अधिपत्य कायम है। 2024 के रूसी चुनाव में 88 प्रतिशत वोट हासिल करना उनकी अपार लोकप्रियता और जनता के विश्वास को दर्शाता है। उनकी सत्ता को चुनौती देने वाले विपक्षी नेता या तो देश छोड़कर चले गए या राजनीतिक पटल से गायब हो गए।
रूस जैसे सुपरपावर देश में पुतिन की लगातार सफलता का विश्लेषण दुनियाभर के राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए एक पहेली बनी हुई है। हालांकि, अब व्लादिमीर पुतिन ने खुद ही अपनी इस सफलता के चार नए सिद्धांत या फॉर्मूला बताए हैं, जिनका वे हर परिस्थिति में पालन करते हैं।
पुतिन के चार सिद्धांत: राज करने का फॉर्मूला
एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में व्लादिमीर पुतिन ने अपनी कार्यशैली के आधारभूत स्तंभों का खुलासा किया:
- कर्तव्य परायणता सर्वोपरि: “मैं वो काम जरूर करता हूं, जिसे न करने का मेरे पास कोई अधिकार नहीं है।” पुतिन के अनुसार, काम न करने का कोई कारण नहीं होता है, इसलिए वे हर काम करते हैं, और यह सिद्धांत जीवन में काफी अहम है। यह उनकी निरंतर सक्रियता को दर्शाता है।
- भूतकाल पर चिंतन नहीं: पुतिन का कहना है कि वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं और इस बात का पछतावा नहीं करते कि क्या सही होता। वे केवल वर्तमान और भविष्य पर ही काम करते हैं। यह आगे बढ़ने और निर्णायक नीतियों को लागू करने की उनकी क्षमता को दर्शाता है।
- सतर्कता और जागरूकता: केजीबी के पूर्व एजेंट होने के नाते, पुतिन हमेशा चौकन्ना रहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि कौन कब क्या कर रहा है, और वह खुद एक्टिव रहते हैं। यह सुरक्षा एवं खुफिया तंत्र पर उनकी मज़बूत पकड़ को प्रदर्शित करता है।
- अथक परिश्रम: पुतिन मेहनत करने से पीछे नहीं हटते हैं। हाल ही में उन्होंने अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ के साथ 5 घंटे की एक बैठक का उदाहरण दिया, जिसमें वे अकेले बैठे थे, जबकि विटकॉफ के साथ 2 लोग थे। यह उनकी असाधारण कार्यक्षमता और समर्पण को रेखांकित करता है।
साम्राज्य विस्तार और राजनयिक संबंध
73 साल के व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में रूस ने न केवल अपना विस्तार किया है (वर्तमान में यूक्रेन के 3 इलाकों पर कब्जा), बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक संबंधों को भी मजबूत किया है। चीन और उत्तर कोरिया जैसे देश इस वक्त रूस के भरोसेमंद साझेदार माने जाते हैं, जिसमें उत्तर कोरिया जंग में रूस का खुलकर साथ दे रहा है।
रूसी संसद द्वारा संविधान में किए गए बदलावों के चलते पुतिन को अब रूस में आजीवन राष्ट्रपति रहने का अधिकार प्राप्त है, जिसमें उन्हें अपने उत्तराधिकारी चुनने का भी हक है। इससे स्पष्ट है कि पुतिन का फॉर्मूला न केवल उनके व्यक्तिगत शासन के लिए सफल रहा है, बल्कि रूस की वैश्विक रणनीति को भी नई दिशा दे रहा है।

