द लोकतंत्र: आजकल एसिडिटी (Acidity) एक आम समस्या बन गई है। पेट में जलन, खट्टी डकार, मुंह का खट्टा स्वाद, सीने में जलन या जी मिचलाना जैसे लक्षण एसिडिटी के संकेत हो सकते हैं। मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एसिडिटी तब होती है जब पेट में ज्यादा एसिड बनने के बाद वह भोजन नली में वापस आने लगे, जिसे एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux) कहा जाता है। कभी-कभार यह समस्या सामान्य है, लेकिन अगर ये परेशानी बार-बार हो रही है, तो आपकी रोजमर्रा की कुछ आदतें इसका कारण हो सकती हैं।
बहुत ज्यादा चाय या कॉफी पीना
अगर आप दिनभर कई कप चाय या कॉफी पीते हैं, तो सावधान हो जाएं। इन पेयों में मौजूद कैफीन पेट में एसिड का स्तर बढ़ा सकता है। इससे सीने में जलन और डाइजेशन की समस्या होने लगती है। साथ ही, चाय और कॉफी शरीर से पानी कम कर सकती हैं, जिससे डिहाइड्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
तेजी से खाना खाने की आदत
खाने को अच्छे से चबाकर और धीरे-धीरे खाना पाचन को बेहतर बनाता है। लेकिन कई लोग जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं, जिससे खाना ठीक से पच नहीं पाता। इस आदत के कारण न केवल एसिडिटी होती है, बल्कि गैस, ब्लोटिंग और पेट में भारीपन जैसी परेशानियां भी बढ़ सकती हैं।
स्पाइसी और ऑयली फूड का ज्यादा सेवन
बहुत अधिक मसालेदार या तैलीय भोजन का सेवन भी एसिडिटी को बढ़ा सकता है। लगातार बाहर का खाना खाने से एसिड रिफ्लक्स की समस्या बनी रहती है। लंबे समय तक यह आदत वजन बढ़ाने और अन्य पाचन संबंधी दिक्कतों का कारण बन सकती है।
खाने के बाद तुरंत आराम करना
खाना खाने के बाद 5 से 8 मिनट तक हल्की वॉक करने की सलाह दी जाती है। इससे डाइजेशन बेहतर होता है। लेकिन अगर आप खाने के तुरंत बाद बैठ जाते हैं या लेट जाते हैं, तो पेट में बना एसिड भोजन नली में वापस आ सकता है, जिससे जलन और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है।
एसिडिटी से बचाव के आसान टिप्स
खाने के समय छोटे निवाले लें और धीरे-धीरे चबाएं।
चाय और कॉफी का सेवन सीमित रखें।
मसालेदार और तैलीय भोजन की जगह हल्का और फाइबर युक्त खाना लें।
सोने से कम से कम दो घंटे पहले भोजन करें।
तनाव कम करने के लिए योग और मेडिटेशन को रूटीन में शामिल करें।