द लोकतंत्र: भारत में ट्रैकिंग और एडवेंचर गतिविधियों का शौक रखने वाले लोगों के लिए अनगिनत विकल्प मौजूद हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत भी ट्रैकिंग डेस्टिनेशन के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है अरुणाचल प्रदेश का ऐयो वैली ट्रैक (Aio Valley Trek Arunachal Pradesh), जो दिबांग घाटी (Dibang Valley) के खूबसूरत और हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित है।
यह ट्रैक अपने रोमांचक सफर और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां घने उष्णकटिबंधीय जंगल, रोडोडेंड्रोन के पेड़, झीलें और बहती हुई आयो नदी का नजारा यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। खास बात यह है कि इस ट्रेक के दौरान यात्रियों को रास्ते में 40 से ज्यादा झरनों को देखने का मौका मिलता है, खासकर मानसून के मौसम में यहां का दृश्य किसी जन्नत से कम नहीं होता।
ऐयो वैली ट्रैक का सफर
ऐयो वैली ट्रैक का शुरुआती पॉइंट डिब्रूगढ़ से रोइंग तक का सफर है। रोइंग को दिबांग घाटी का प्रवेश द्वार (Entry Gate) कहा जाता है। इसके बाद ट्रैकिंग का सफर शुरू होता है, जिसमें यात्रियों को लोहित नदी पर बने 9 किलोमीटर लंबे भूपेन हजारिका सेतु (Bhupen Hazarika Setu) से होकर गुजरना पड़ता है।
यह इलाका मिश्मी हिल्स (Mishmi Hills) कहलाता है, जहां 6000 से अधिक पौधों की प्रजातियां और करीब 700 पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां की जैव विविधता इस क्षेत्र को और भी खास बना देती है।
कैंपिंग और झरनों का नजारा
ट्रैकिंग के दौरान कई खूबसूरत कैंपसाइट्स आते हैं, जहां पर्यटक टेंट लगाकर रात बिता सकते हैं। इस ट्रेक का सबसे रोमांचक हिस्सा है घने जंगलों से गुजरते हुए आयो नदी के स्रोत और झीलों तक पहुंचना। यात्रा के दौरान झरनों की आवाज और ठंडी हवाएं इसे यादगार अनुभव बना देती हैं।
यात्रा के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान है ब्रुइंट (Bruint), जहां एक ओर द्री नदी बहती है तो दूसरी ओर दिबांग वन्यजीव अभयारण्य (Dibang Wildlife Sanctuary) का घना जंगल फैला हुआ है। इसके अलावा जरू नदी (Jaru River) का नजारा भी यहां आने वालों को मोहित कर देता है।
प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग
जो लोग प्रकृति और एडवेंचर के दीवाने हैं, उनके लिए ऐयो वैली ट्रैकिंग जीवनभर का अनुभव साबित हो सकता है। यहां की शांति, प्राकृतिक सुंदरता और स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव इसे एक अनोखा और रोमांचक सफर बनाते हैं।