द लोकतंत्र : मानव शरीर में गुर्दे (किडनी) उन अत्यंत महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं जो चौबीसों घंटे सक्रिय रहते हैं। किडनी का कार्य केवल खून और पानी को फ़िल्टर करना नहीं है, बल्कि यह टॉक्सिंस और वेस्ट मटीरियल को बाहर निकालने, हार्मोन्स का उत्पादन करने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
किडनी के कार्य की व्यापकता को देखते हुए, जब इन अंगों के कामकाज में समस्या आती है, तो यह पूरे शरीर की प्रणाली को प्रभावित करती है, जिससे क्रॉनिक किडनी रोग (CKD) जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है।
क्यों गंभीर हो जाती है किडनी की बीमारी?
किडनी की बीमारी की गंभीरता का मुख्य कारण यह है कि इसके लक्षण अक्सर बहुत देर से यानी गुर्दे खराब होने या पेशाब में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने तक स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। अमेरिका के नेशनल किडनी फाउंडेशन (NKF) के मेडिकल ऑफिसर डॉ. जोसेफ वासालोटी के अनुसार, लोग कई बार शुरुआती लक्षणों को अन्य सामान्य बीमारियों से जोड़ देते हैं, यह नहीं पहचान पाते कि ये किडनी से जुड़े हो सकते हैं। इसी कारण क्रॉनिक किडनी रोग से पीड़ित केवल 10% लोगों को ही पता चल पाता है कि उन्हें यह बीमारी है।
शरीर देता है ये संकेत: कमजोरी और थकान
हालांकि निदान के लिए जांच करवाना ही सबसे जरूरी है, लेकिन व्यक्ति में लगातार बनी रहने वाली थकान, कमजोरी और फोकस करने में मुश्किल किडनी की बीमारी के महत्वपूर्ण प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं। यह कमजोरी तीन मुख्य कारणों से उत्पन्न होती है:
1. खून में टॉक्सिंस का जमाव (Toxin Accumulation):
जब किडनी ठीक से फ़िल्टर नहीं कर पाती, तो खून में टॉक्सिंस और वेस्ट मटीरियल का जमाव होने लगता है। इस वेस्ट का जमाव व्यक्ति को लगातार और अत्यधिक थकान महसूस कराता है। यह थकान लंबी अवधि तक बनी रह सकती है।
2. एनीमिया (Anemia) की समस्या:
स्वस्थ किडनी एरिथ्रोपोइटिन हार्मोन बनाती है, जो रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करता है। किडनी खराब होने पर इस हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे एनीमिया हो सकता है। रेड ब्लड सेल्स कम होने पर, शरीर के अंगों और मांसपेशियों तक ऑक्सिजन भी कम पहुँचती है, जिसके परिणामस्वरूप मरीज को बहुत अधिक थकान और कमजोरी महसूस होती है।
3. हाई ब्लड प्रेशर का योगदान:
किडनी की बीमारी अक्सर हाई ब्लड प्रेशर या अन्य हृदय संबंधी समस्याओं से जुड़ी होती है। यह स्थिति भी शारीरिक थकान को और अधिक बढ़ा सकती है, जिससे रोगी की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित होती है।
किडनी की बीमारी के छिपे हुए लक्षणों को पहचानना जीवनरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। अत्यधिक थकान और कमजोरी जैसे संकेतों को नजरअंदाज न करके, उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को नियमित जांच पर ध्यान देना चाहिए ताकि समय रहते बीमारी की पहचान की जा सके और गुर्दे को खराब होने से बचाया जा सके।

