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शाम 6 बजे के बाद Street Food का सेवन बढ़ा सकता है डायबिटीज का खतरा, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

The loktnatra

द लोकतंत्र : शाम का समय अक्सर मानसिक शांति और सामाजिक मेलजोल का होता है, परंतु इसी दौरान अव्यवस्थित खान-पान की आदत गंभीर शारीरिक व्याधियों का आधार बन रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शाम के समय स्ट्रीट फूड का अनियंत्रित सेवन न केवल पाचन तंत्र को बिगाड़ता है, अपितु मेटाबॉलिज्म को धीमा करके मधुमेह (Diabetes) जैसे रोगों को आमंत्रण देता है। मशहूर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पाल के मुताबिक, शाम 6 बजे के बाद का समय शरीर के लिए विश्राम की तैयारी होता है, ऐसे में भारी और तले हुए पदार्थ विषाक्त सिद्ध हो सकते हैं।

इन पदार्थों से दूरी अनिवार्य: वर्जित सूची

डॉ. पाल ने विशेष रूप से कुछ लोकप्रिय भारतीय स्नैक्स को शाम 6 बजे के बाद वर्जित बताया है। इस सूची में समोसा, जलेबी, पानीपुरी, वड़ा पाव, कचौड़ी, फ्राइड मोमोज और मक्खन युक्त पाव भाजी शामिल हैं। इन पदार्थों में ट्रांस-फैट, परिष्कृत चीनी और अत्यधिक सोडियम होता है, जो रात के समय शरीर द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता।

मधुमेह और आंतों की सेहत

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित एक शोध ने तले हुए खाद्य पदार्थों और टाइप-2 डायबिटीज के मध्य गहरा संबंध स्थापित किया है।

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस: रिसर्च के अनुसार, नियमित रूप से तली-भुनी चीजों का सेवन करने वालों में ब्लड शुगर नियंत्रण कमजोर हो जाता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध का खतरा बढ़ जाता है।
  • आंतों का सूक्ष्मजीव तंत्र: अत्यधिक वसायुक्त भोजन आंतों में स्थित ‘अच्छे बैक्टीरिया’ को नष्ट कर देता है, जिससे शरीर में सूजन (Inflammation) बढ़ती है। यह स्थिति भूख और शर्करा नियंत्रण करने वाले हार्मोन के स्तरों को भी कम करती है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्वाद के साथ स्वास्थ्य का तालमेल बिठाना असंभव नहीं है। शाम को हल्के विकल्प चुनने चाहिए जो पाचन में सुगम हों:

  • स्टीम्ड विकल्प: मैदे के बजाय गेहूं के स्टीम्ड मोमोज या भाप में पके मकई (Corn) का सेवन।
  • प्रोटीन युक्त सलाद: स्प्राउट्स, चना चाट या बिना तेल का पनीर टिक्का।
  • कम कैलोरी स्नैक्स: भुने हुए मखाने, बेसन का चीला या होल-व्हीट टोस्ट के साथ अंडे की भुर्जी।

निष्कर्षतः, शाम के समय किए गए खाद्य पदार्थों का चुनाव आने वाले वर्षों में आपकी शारीरिक क्षमता निर्धारित करता है। यदि हम अभी सतर्क नहीं हुए, तो आज का अल्पकालिक स्वाद कल की दीर्घकालिक बीमारी बन सकता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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