द लोकतंत्र : लिवर के नीचे स्थित गॉलब्लैडर (पित्ताशय) हमारी सेहत का एक बेहद जरूरी अंग है। यह बाइल (पित्त) को स्टोर करता है, जो डाइजेशन में मदद करता है। लेकिन जब पित्ताशय में गॉलस्टोन (पित्त की पथरी) बनने लगती है, तो यह एक आम लेकिन बेहद दर्दनाक समस्या बन जाती है, जो खासकर महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है।
कई बार इसकी पहचान देर से होती है, जिससे यह गंभीर रूप ले सकती है। यहां जानिए गॉलस्टोन के शुरुआती लक्षण, जोखिम कारक और इससे बचाव के तरीके।
क्या होते हैं गॉलस्टोन?
गॉलस्टोन गॉलब्लैडर में बनने वाले छोटे ठोस कण होते हैं। ये मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल और बाइल (पित्त) से मिलकर बनते हैं। जब ये कण आकार में बढ़ते हैं और पित्त के रास्तों को जाम कर देते हैं, तो पेट में तेज दर्द होता है।
पित्त की पथरी के शुरुआती लक्षण
शुरुआत में गॉलस्टोन का कोई लक्षण नहीं दिखता, लेकिन जैसे-जैसे पथरी बढ़ती है और पित्त के प्रवाह को बाधित करती है, निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:
- अचानक तेज दर्द: पेट के ऊपरी हिस्से में अचानक तेज दर्द उठता है जो कुछ देर में चला जाता है, लेकिन बार-बार लौट आता है। यह दर्द पीठ या कंधे तक फैल सकता है।
- मतली और उल्टी: दर्द के साथ मतली (Nausea) और उल्टी महसूस होना।
- तेल वाले खाने से बेचैनी: तले हुए या तेल से बने खाना खाने के बाद पेट में बेचैनी या भारीपन महसूस होना।
- पाचन संबंधी समस्या: अपच और गैस की समस्या भी बढ़ सकती है।
महिलाओं में जोखिम क्यों होता है ज्यादा?
यह परेशानी कुछ खास समूहों में अधिक होती है। खासकर महिलाओं में इसके ज्यादा पाए जाने के मुख्य कारण हार्मोनल बदलाव से जुड़े होते हैं:
| जोखिम कारक | विवरण |
| लिंग और उम्र | यह समस्या महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती है, खासकर 40 साल से ऊपर की महिलाओं में। |
| मोटापा | मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में गॉलस्टोन का खतरा काफी बढ़ जाता है। |
| तेजी से वजन कम करना | बहुत तेजी से वजन कम करने से लिवर अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल रिलीज करता है, जिससे पथरी बन सकती है। |
| गर्भधारण | बार-बार गर्भधारण करने से हार्मोनल बदलाव आते हैं, जो पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। |
गंभीर स्थिति: एक्यूट कोलेसिस्टाइटिस
कई बार यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है जिसे एक्यूट कोलेसिस्टाइटिस (Acute Cholecystitis) कहा जाता है। इस स्थिति में गॉलब्लैडर पूरी तरह ब्लॉक हो जाता है और सूजन आ जाती है।
- इमरजेंसी लक्षण: मरीज को बुखार, ठंड लगना और लगातार उल्टी जैसे गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं।
- इलाज: ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है और अक्सर सर्जरी (पित्ताशय को निकालना) की आवश्यकता पड़ती है।
बचाव और उपचार
- उपचार: अगर दर्द हल्का है, तो दवा और खानपान में सुधार से राहत मिल सकती है। लेकिन अगर दर्द बार-बार होता है, तो डॉक्टर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) से पित्ताशय निकालने की सलाह देते हैं।
- बचाव के तरीके:
- खानपान में सुधार: तली-भुनी चीजें कम खाएं और उच्च फाइबर वाला भोजन लें।
- वजन नियंत्रण: वजन धीरे-धीरे घटाएं, तेजी से नहीं।
- व्यायाम और पानी: रोजाना हल्का व्यायाम करें। पर्याप्त पानी पीना भी जरूरी है ताकि शरीर में पित्त का संतुलन बना रहे।
गॉलस्टोन जैसी समस्या का पता समय रहते चल सके, इसके लिए साल में एक बार पेट का अल्ट्रासाउंड करवाना सबसे बेहतर तरीका है।

