द लोकतंत्र: दर्द, चोट या सूजन होने पर अक्सर लोग सिकाई (Hot & Cold Therapy) करने की सलाह देते हैं। यह एक बेहद पुराना घरेलू उपाय है, लेकिन समस्या तब होती है जब लोग यह तय नहीं कर पाते कि आखिर गर्म सिकाई करनी चाहिए या ठंडी। कई बार गलत सिकाई से फायदा मिलने के बजाय दर्द और बढ़ जाता है। हाल ही में हेल्थ कंटेंट क्रिएटर अंकुर नंदन ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में इस विषय पर एक्सपर्ट टिप्स दिए हैं। आइए जानते हैं कि किन हालात में कौन-सी सिकाई करनी चाहिए।
कब करें गर्म सिकाई?
गर्म सिकाई (Hot Compress) से खून का संचार बढ़ता है और मांसपेशियों की जकड़न कम होती है। यह खासकर पुराने दर्द और अकड़न में राहत देती है।
पुराना कमर दर्द (लोअर बैक पेन): गर्म सिकाई करने से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और दर्द कम होता है।
पीरियड्स पेन: पेट पर गर्म पानी की बोतल रखने से ऐंठन और दर्द में आराम मिलता है।
साइटिका का दर्द: गर्म सिकाई करने से नसों और मांसपेशियों का तनाव कम होता है।
गर्दन का खिंचाव या जकड़न: गर्म सिकाई से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है।
कब करें ठंडी सिकाई?
ठंडी सिकाई (Cold Compress) सूजन और इंफ्लेमेशन कम करने के लिए की जाती है। यह ताजा चोट और मोच में सबसे ज्यादा फायदेमंद है।
ताजा चोट या मोच: आइस पैक से सिकाई करने पर दर्द और सूजन जल्दी कम होती है।
कंधे का दर्द और सूजन: हल्की सूजन होने पर आइस पैक लगाने से आराम मिलता है।
घुटनों का दर्द: अगर सूजन की वजह से दर्द है तो ठंडी सिकाई ज्यादा असरदार होती है।
किन बातों का रखें ध्यान
ताजा चोट या सूजन में हमेशा पहले ठंडी सिकाई करें।
पुराने दर्द और मांसपेशियों की अकड़न में गर्म सिकाई करें।
सिकाई करते समय आइस पैक या हॉट पैड को सीधे त्वचा पर न लगाएं। हमेशा उसे कपड़े में लपेटकर इस्तेमाल करें ताकि जलन या स्किन डैमेज न हो।
अगर दर्द लंबे समय तक बना रहे तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
सही समय पर सही सिकाई करने से दर्द और सूजन से राहत मिल सकती है। ताजा चोट पर ठंडी सिकाई और पुराने दर्द में गर्म सिकाई फायदेमंद होती है। ध्यान रहे कि बिना जानकारी के की गई सिकाई नुकसान भी पहुंचा सकती है, इसलिए सावधानी बरतें।