द लोकतंत्र : किडनी (Kidney) हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले अंग हैं। ये ‘साइलेंट वर्कर’ दिन-रात रक्त को फिल्टर करते हैं, जहरीले तत्वों (Toxins) और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालते हैं, ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को नियंत्रित करते हैं, और मिनरल्स (Minerals) का संतुलन बनाए रखते हैं। हालांकि, जब किडनी धीरे-धीरे अपनी कार्यक्षमता खोने लगती हैं, तो शरीर कुछ मामूली, लेकिन गंभीर संकेत देना शुरू कर देता है। वैश्विक स्तर पर, करीब 10 प्रतिशत आबादी किसी न किसी प्रकार की किडनी समस्या से जूझ रही है, जो इसे एक गंभीर जन स्वास्थ्य संकट बनाती है।
किडनी की कमजोरी के 5 मुख्य लक्षण
किडनी की परेशानी की शुरुआत में अक्सर ये 5 लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें विशेषज्ञ ‘अर्ली वार्निंग साइन’ (Early Warning Sign) मानते हैं:
लगातार थकान या कमजोरी (Fatigue):
यह सबसे सामान्य संकेतों में से एक है। जब किडनी ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती, तो टॉक्सिन्स शरीर में जमा होने लगते हैं। इन टॉक्सिन्स के कारण कोशिकाएं (Cells) ठीक से काम नहीं कर पातीं, जिससे भरपूर नींद लेने के बाद भी लगातार थकान और कमजोरी महसूस होती है।
पैरों या आँखों के नीचे सूजन (Edema):
किडनी का मुख्य काम शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ (Fluid) को बाहर निकालना है। जब यह कार्य बाधित होता है, तो तरल पदार्थ शरीर के हिस्सों में जमा होने लगता है। इसका असर सबसे पहले पैरों, टखनों, हाथों या आँखों के नीचे सूजन के रूप में दिखता है, जिसे मेडिकल भाषा में एडेमा कहा जाता है।
यूरिन में स्पष्ट बदलाव:
यूरिन (Urine) में बदलाव किडनी की समस्या का सबसे सीधा संकेत होता है। इसमें पेशाब का रंग गहरा होना, उसमें झाग या बुलबुले दिखना (जो प्रोटीन की उपस्थिति का संकेत हो सकता है), बार-बार पेशाब लगना या पेशाब करते समय जलन महसूस होना शामिल है।
सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना:
यह किडनी फेलियर (Kidney Failure) का एक छिपा हुआ संकेत है। जब किडनी अतिरिक्त तरल नहीं निकाल पाती, तो यही फ्लूइड फेफड़ों (Lungs) तक पहुँच जाता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कई बार लोग इसे हृदय या फेफड़ों की बीमारी समझकर गलत इलाज कराते रहते हैं, जबकि मूल कारण किडनी की विफलता होती है।
रूखी और खुजलीदार त्वचा:
यह लक्षण अक्सर किडनी रोग के बढ़े हुए चरण में देखा जाता है। जब किडनी खून से अपशिष्ट पदार्थों और जरूरी मिनरल्स को फिल्टर नहीं कर पाती, तो शरीर में मिनरल असंतुलन हो जाता है। यही असंतुलन त्वचा को सूखा (Dry) और खुजलीदार बना देता है।
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए विशेषज्ञ सलाह
नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologists) सलाह देते हैं कि शुरुआती पहचान से किडनी की कार्यक्षमता को बचाया जा सकता है। इसलिए, यदि कोई भी लक्षण लगातार महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित और हेल्दी डाइट (Healthy Diet) सबसे जरूरी है:
- नमक नियंत्रण: खाने में सोडियम (Sodium) की मात्रा कम करें, क्योंकि अधिक नमक ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और किडनी पर दबाव डालता है।
- कम पोटैशियम वाले फल: ऐसे फल और सब्जियां खाएं जिनमें पोटैशियम (Potassium) कम हो, जैसे सेब, बेरीज, अंगूर, फूलगोभी, पत्ता गोभी और शिमला मिर्च। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) सूजन कम करते हैं।
- प्रोटीन के हल्के स्रोत: प्रोटीन के लिए मछली, दालें या अंडे का सफेद भाग चुनें। रेड मीट (Red Meat) और प्रोसेस्ड फूड (Processed Food) से परहेज करें।
- दवाओं का विवेकपूर्ण सेवन: डॉक्टर की सलाह के बिना पेनकिलर्स (Painkillers) का बार-बार सेवन किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
किडनी की समस्याएं अक्सर देर से पहचानी जाती हैं, जब तक काफी क्षति हो चुकी होती है। इन ‘चुपचाप’ संकेतों को समझना और जीवनशैली में सही बदलाव लाना ही किडनी को सुरक्षित रखने का एकमात्र उपाय है। जागरूकता और सक्रिय स्वास्थ्य देखभाल आज की जरूरत है।

