द लोकतंत्र : यकृत (Liver) हमारे शरीर का सबसे बड़ा और सबसे आवश्यक आंतरिक अंग है, जो पाचन, डिटॉक्सिफिकेशन और प्रोटीन संश्लेषण जैसे हजारों महत्वपूर्ण कार्यों का संचालन करता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जब लिवर परेशानी में आता है, तो उसका असर सबसे पहले त्वचा पर दिखने लगता है। कई बार लोग इन संकेतों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि ये शरीर के अंदर चल रही बड़ी दिक्कत के शुरुआती सुराग होते हैं। समय रहते इन लक्षणों को पहचानना गंभीर बीमारियों से बचने का एकमात्र तरीका है।
लिवर की खराबी के 6 प्रमुख त्वचा संबंधी लक्षण
1. पीलिया (Jaundice): त्वचा और आँखों का पीलापन
पीलिया लिवर की बीमारी का सबसे पहचानने योग्य लक्षण है। इसमें त्वचा और आँखों का सफेद हिस्सा पीला होने लगता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लिवर बिलीरुबिन (रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनने वाला पीला वर्णक) को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता और यह खून में जमा होने लगता है।
2. लगातार खुजली (Pruritus)
बिना किसी रैश के लगातार खुजली होना भी लिवर की गड़बड़ी का एक बड़ा संकेत है। यह खुजली तब होती है जब बाइल सॉल्ट्स (पित्त लवण) खून में बढ़ जाते हैं और त्वचा की नसों को उत्तेजित करते हैं। यह खुजली नींद और दिनभर का आराम दोनों को खराब कर सकती है।
3. स्पाइडर एंजियोमा और पामर एरीथिमा
- स्पाइडर एंजियोमा: चेहरे, गर्दन या सीने पर छोटे-छोटे लाल धब्बेनुमा निशान (जो मकड़ी के जाले जैसे दिखते हैं) बनना।
- पामर एरीथिमा: हथेलियों का लाल होना। यह दोनों बदलाव शरीर में हार्मोन असंतुलन की वजह से होते हैं, जिसे लिवर नियंत्रित करने में विफल रहता है।
4. त्वचा का गहरा या धब्बेदार रंग
लिवर की सूजन और लगातार हार्मोनल बदलाव के कारण त्वचा का रंग धीरे-धीरे गहरा या धब्बेदार (हाइपरपिग्मेंटेशन) होने लगता है। कई लोगों में चेहरे, गर्दन या बाजुओं पर काले पैच दिखते हैं।
5. नाखूनों में बदलाव (Terry’s Nails)
लिवर की कमजोरी का असर नाखूनों पर भी देखा जा सकता है। टेरी नेल्स (Terry’s Nails) जहाँ पूरा नाखून लगभग सफेद होता है और किनारों पर हल्की गुलाबी पट्टी दिखती है, लिवर की खराब प्रोटीन मेटाबॉलिज्म का संकेत देती है।
अक्सर ये त्वचा वाले संकेत अकेले नहीं आते। इनके साथ अत्यधिक थकान, पेट का फूलना (जलोदर), भूख में कमी या पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। चिकित्सा जगत में लिवर के रोगों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, किसी भी त्वचा या शारीरिक बदलाव को नजरअंदाज करना नुकसानदायक हो सकता है। वरिष्ठ चिकित्सकों की सलाह है कि उपरोक्त लक्षण दिखने पर देर न करें और तत्काल रक्त की जाँच (Blood Tests) और यकृत की जाँच करवानी चाहिए। शीघ्र निदान रोग को नियंत्रित करने की कुंजी है।

