द लोकतंत्र : शारदीय नवरात्रि के दौरान कई भक्त पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं। इस दौरान फलाहारी डाइट का विशेष ध्यान रखना बेहद जरूरी है। साबूदाना व्रत का एक लोकप्रिय हिस्सा है, क्योंकि इसे जल्दी तैयार किया जा सकता है और यह एनर्जी देने वाला फूड माना जाता है। लेकिन अगर इसे सही तरीके से न खाया जाए तो यह डाइजेशन पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
साबूदाना, जिसे मोतियों जैसा दिखने वाला कहा जाता है, कसावा या टैपिओका की जड़ से बनाया जाता है। जड़ को छीलकर उसका स्टार्च निकाला जाता है और फिर इस स्टार्च को मार्केट में साबूदाना के रूप में सप्लाई किया जाता है। इसमें पोषक तत्व न्यूनतम होते हैं, क्योंकि ग्लूकोज और स्टार्च की परत इसे तैयार करने के बाद चढ़ाई जाती है।
एक्सपर्ट और इंटीग्रेटेड थेरेप्यूटिक्स न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर गीतिका चोपड़ा का कहना है कि साबूदाना मुख्य रूप से स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट का स्रोत है और इसमें डायटरी फाइबर बहुत कम होता है। फाइबर की कमी के कारण पेट में स्टूल पल्प का निर्माण नहीं होता, जिससे कब्ज और भारीपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
व्रत के दौरान हाइड्रेशन का ध्यान रखना भी जरूरी है। डॉक्टर गीतिका के अनुसार, पर्याप्त पानी पीना, नारियल पानी, नींबू पानी और छाछ का सेवन डाइजेशन को बेहतर बनाए रखता है और कब्ज की समस्या से बचाता है।
साबूदाना खाने का सही तरीका है कि इसे खिचड़ी के रूप में बनाया जाए। इसमें हाइ-फाइबर वाली सब्जियां जैसे पालक, टमाटर, बीन्स और अदरक मिलाएं। साथ में दही या छाछ लेने से पेट में प्रोबायोटिक्स पहुंचते हैं और डाइजेशन स्मूद रहता है। रोजाना साबूदाना खाने की बजाय इसे कम मात्रा में खाएं।
हेल्दी अल्टरनेटिव में पपीता और नाशपाती जैसे फलों को शामिल किया जा सकता है। पपीता स्मूदी बनाने के लिए दही और पके पपीते को ग्राइंड कर लें और ऊपर से फ्लेक्स सीड्स डालें। इसके अलावा कुट्टू या सिंघाड़े के आटे का चीला, लौकी की खीर, खीरे का रायता, शकरकंद और कद्दू की सब्जी भी व्रत में खाई जा सकती हैं। एनर्जी बनाए रखने के लिए नट्स और सीड्स को डाइट में शामिल करें।
व्रत में तली हुई और अधिक मसाले वाली चीजों से परहेज करें। ये पेट में ब्लोटिंग, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को बढ़ा सकती हैं। सही तरीकों से साबूदाना और हेल्दी फूड विकल्प अपनाकर व्रत के दौरान भी पेट और डाइजेशन की समस्या से बचा जा सकता है।