द लोकतंत्र : भारतीय वायुसेना के लिए एक बार फिर विमान सुरक्षा और विश्वसनीयता का सवाल उठ खड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश के बरेली में भारतीय वायुसेना के एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव को उड़ान के दौरान तकनीकी खराबी के कारण खेत में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। हालाँकि, किसी भी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं है और पायलटों ने हेलीकॉप्टर को सुरक्षित उतार लिया। तत्काल प्रभाव से रेस्क्यू टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है। हेलीकॉप्टर को खेत में उतरते देख बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जमा हो गए।
यह घटना इसलिए भी अधिक चिंताजनक है क्योंकि ALH ध्रुव बेड़े को इस वर्ष मई में ही, लगभग चार महीने की रोक के बाद, फिर से संचालन की मंजूरी मिली थी। इन हेलीकॉप्टरों को उस समय ग्राउंड कर दिया गया था जब 5 जनवरी 2025 को भारतीय तटरक्षक बल (Coast Guard) का एक ALH हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
इस हादसे के बाद ALH हेलीकॉप्टरों की तकनीकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे थे। रक्षा मंत्रालय ने तब एक डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन कमेटी का गठन किया था। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और सशस्त्र बलों ने मिलकर समस्याओं का विश्लेषण किया और कई सुरक्षा उपाय लागू किए थे।
यद्यपि भारतीय वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर इस विशेष घटना के कारणों पर तत्काल कोई विस्तृत बयान जारी नहीं किया है, लेकिन ऐसी आपातकालीन लैंडिंग के बाद मानक प्रक्रिया के तहत कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि वायुसेना प्राथमिकता के आधार पर तकनीकी खराबी के सटीक कारण की पहचान कर रही है। HAL द्वारा निर्मित यह मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर 2002 से भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा दे रहा है और इसे विभिन्न मिशनों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
रक्षा और वैमानिकी विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी कम अवधि में ‘ध्रुव’ जैसे महत्वपूर्ण बेड़े में बार-बार तकनीकी समस्याओं का आना चिंता का विषय है। एक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर के रूप में, यह सेना के कई अहम मिशनों के लिए केंद्रीय भूमिका निभाता है।
विशेषज्ञों का मत है कि पिछली दुर्घटनाओं के बाद लागू किए गए सुरक्षा उपायों की प्रभावकारिता की गहन समीक्षा होनी चाहिए। ऐसी आपातकालीन लैंडिंग, भले ही सुरक्षित हो, पायलटों के विश्वास और बेड़े की परिचालन तत्परता (Operational Readiness) पर दबाव डालती है।
ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर बेड़े में सामने आई तकनीकी चुनौतियाँ अकेली नहीं हैं। हाल ही में, भारतीय वायुसेना के एक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान को भी तेल रिसाव के कारण देहरादून हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी थी।
ये घटनाएं भारतीय सशस्त्र बलों के लिए यह सुनिश्चित करने की चुनौती बढ़ाती हैं कि उनके विमान उच्चतम सुरक्षा और परिचालन मानकों को पूरा करें। देश की रक्षा क्षमताओं के लिए, स्वदेशी रूप से विकसित किए गए ALH जैसे प्लेटफार्मों की तकनीकी विश्वसनीयता को बनाए रखना सर्वोपरि है।
बरेली की यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि भले ही पायलटों की तत्परता ने एक बड़े हादसे को टाल दिया हो, लेकिन ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर के बेड़े की तकनीकी समस्याओं को जड़ से खत्म करना आवश्यक है। HAL और रक्षा मंत्रालय को मिलकर इन हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा और विश्वसनीयता की गारंटी देनी होगी, ताकि देश की रक्षा में लगे जवान बिना किसी संशय के इनका उपयोग कर सकें।

