द लोकतंत्र/ देवरिया ब्यूरो : स्थानीय समाजसेवी संजय पाठक ( Social Worker Sanjay Pathak) ने प्रदेश के गरीब पशुपालकों की मदद के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रमुख सचिव, पशुपालन विभाग से विधानसभा में मुलाक़ात की। संजय पाठक ने प्रमुख सचिव को एक पत्र सौंपा। पत्र में उन्होंने गरीब पशुपालकों को मुफ्त में वर्गीकृत सिमेन (Sorted Semen) उपलब्ध कराने की मांग की है। संजय पाठक का मानना है कि जब तक छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर पशुपालकों को उचित सहायता नहीं मिलेगी, तब तक ‘श्वेत क्रांति’ को सफल बनाना एक दूर का सपना ही रहेगा।
संजय पाठक ने पत्र में लिखा कि वर्तमान समय में पशुपालन क्षेत्र में वर्गीकृत सिमेन का उपयोग अत्यधिक लाभदायक साबित हो सकता है, खासकर उन पशुपालकों के लिए जो सीमित संसाधनों के कारण उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल का विकास करने में असमर्थ हैं। वर्गीकृत सिमेन की विशेषता यह है कि इसका उपयोग करने पर 90% संभावना रहती है कि जन्म लेने वाले बछड़े, बछिया (Female Calf) होंगी। इससे न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि पशुपालकों की आय में भी सुधार होगा, क्योंकि बछिया का उत्पादन अधिक दूध देने वाली गायों की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
वर्गीकृत सिमेन का महत्व:
सामान्यत: ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर पशुपालकों के पास सीमित संख्या में दुधारू पशु होते हैं, जिनकी नस्ल सुधार और दूध उत्पादन में वृद्धि करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है। वर्गीकृत सिमेन का प्रयोग करने से पशुपालक अधिक संख्या में बछियों का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे भविष्य में उनके पास अधिक दूध देने वाली गाएं होंगी। इसके परिणामस्वरूप, गरीब पशुपालकों की आय में वृद्धि और स्थानीय स्तर पर दूध उत्पादन में व्यापक सुधार होगा।
गरीब पशुपालकों के लिए मुफ्त वर्गीकृत सिमेन क्यों जरूरी?
संजय पाठक ने अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित अधिकांश योजनाओं का लाभ केवल बड़े और संपन्न पशुपालक ही उठा पाते हैं, जबकि गरीब और सीमांत पशुपालक इससे वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा, श्वेत क्रांति की सफलता तभी संभव है जब हर वर्ग के पशुपालकों को आधुनिक तकनीक और साधनों तक पहुंच दी जाए। वर्गीकृत सिमेन का मुफ्त वितरण एक ऐसा कदम होगा, जिससे न केवल गरीब पशुपालकों को फायदा होगा, बल्कि राज्य में दूध उत्पादन भी तेजी से बढ़ेगा।
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ऐसे में, अगर राज्य सरकार वर्गीकृत सिमेन का मुफ्त वितरण करती है, तो यह कदम प्रदेश की अर्थव्यवस्था और पशुपालन क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश के गरीब पशुपालकों का जीवन स्तर भी सुधरेगा।