द लोकतंत्र/ राबी शुक्ला : देवभूमि देवरिया का बस डिपो अपनी दुर्व्यवस्थाओं पर रो रहा है। बस डिपो में स्टाफ़ की कमी और यात्री सुविधाओं के अभाव के चलते यात्रियों को तपिश भरे इस मौसम में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आंकड़ो की बात करें तो देवरिया बस स्टैंड से रोजाना करीब 38 हजार लोग सफर करते हैं और हर दिन औसतन 21-22 लाख रुपये की कमाई परिवहन निगम को देवरिया बस डिपो से होती है। यानी करीब 6 करोड़ रुपये महीने की आमदनी अकेले देवरिया डिपो से परिवहन निगम को होती है बावजूद सुविधाओं के नाम पर यहां व्यवस्थाएं चलताऊं हैं।
पीपीपी मॉडल से बनना है हाईटेक डिपो, लेकिन अभी टेंडर नहीं
देवरिया बस स्टैंड के पुराने और बदहाल जर्जर भवन जो खतरनाक हो चला था उसको कुछ माह पूर्व तोड़ दिया गया। जर्जर भवन टूटा तो एक उम्मीद जगी थी कि अब इस बस स्टैंड की तक़दीर और तस्वीर बदलेगी लेकिन अभी भी हालात ढाक के तीन पात है। पीपीपी मॉडल के तहत देवरिया बस अड्डे को हाईटेक बनाने का प्रस्ताव पास भी हो चुका है और दूसरे फ़ेज में निर्माण कार्य शुरू होना है। लेकिन सरकारी फाइलों की तरह यह प्रस्ताव भी कछुआ गति से आगे बढ़ रहा है। कब तक बनेगा, टेंडर वग़ैरह को लेकर मौजूदा स्थिति क्या है इसके बारे में स्थानीय डिपो के कर्मचारियों को भी कुछ पता नहीं है।
निगम को परवाह नहीं, सामाजिक संगठनों ने की है यात्रियों के बैठने की व्यवस्था
देवरिया बस डिपो में व्याप्त दुर्व्यवस्थाओं से यात्रियों के अलावा बस डिपो के कर्मचारी भी हलकान हैं और उन्हें ‘काम चलाऊँ व्यवस्था’ के अन्तर्गत काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। 6 करोड़ महीने की आय वाले इस डिपो में यात्रियों के बैठने के लिए बना टीन शेड सामाजिक सहयोग से बना है और एक स्थानीय ट्रस्ट की मदद से तात्कालिक तौर पर व्यवस्था की गई है। पीने के लिए एक वाटर कूलर भी सामाजिक सहयोग से लगा है और एक अन्य वाटर कूलर की व्यवस्था नगरपालिका के सहयोग से की गई है।
इसके अलावा देवरिया डिपो स्टाफ़ की भयंकर कमी से भी जूझ रहा है। डिपो में इस वक़्त विभिन्न रूटों पर कुल मिलाकर 74 निगम की बसें और 126 अनुबंधित बसें हैं। डिपो को फ़िलहाल 50 अतिरिक्त चालकों और 20 बाबुओं की जरूरत है। डिपो की तरफ़ से अपनी रिक्वायरमेंट परिवहन निगम को अवगत करायी जा चुकी है लेकिन यह कमी कब पूरी होगी इसपर स्थानीय कर्मचारी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।
परिवहन मंत्री ही जनपद के प्रभारी मंत्री, लेकिन आँखो में बंधी है काली पट्टी
देवरिया बस स्टैंड की दुर्व्यवस्थाएं किसी भी जनप्रतिनिधि को नज़र नहीं आ रही। सभी ने अपनी आँखों पर काली पट्टी बांध रखी है। यहाँ तक कि प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह जनपद के प्रभारी मंत्री भी हैं। और, अक्सर उनके दौरे जनपद में होते रहते हैं लेकिन पत्रकारों द्वारा बस अड्डे के निर्माण और यात्री सुविधाओं से संबंधी सवालों पर वह भी चुप्पी साध लेते हैं अथवा रटा रटाया जवाब देकर बचने की कोशिश करते हैं। बस अड्डे के बग़ल में ही डीएम कार्यालय भी है। प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ़ से यात्री सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई।
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सबसे हास्यास्पद स्थिति तो यह है कि 6 करोड़ की मासिक रिवेन्यू शासन को देने वाले इस डिपो में जो भी थोड़ी व्यवस्थाएँ हुई हैं वह समाजिक संगठनों के सहयोग से हो पायी हैं। देवरिया के जनप्रतिनिधियों ने बस स्टैंड को लेकर वादे तो खूब किए लेकिन वादों को हक़ीक़त का धरातल अभी भी नहीं मिल पाया है। सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने इसे लेकर शासन से पत्राचार भी किया है लेकिन मामला कहाँ अटका पड़ा है इसपर स्थिति स्पष्ट नहीं है। आलम यह है कि इतना अधिक राजस्व देने के बावजूद देवरिया डिपो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
Mahendra Kumar Tripathi
June 16, 2024आपका वेब पोर्टल बहुत ही अच्छा है। सच्ची खबरें एवं निष्पक्ष खबरें होती हैं स्थानीय संवाददाता भी काफी अच्छे हैं उनका व्यवहार भी अच्छा है और उनकी रिपोर्ट भी लोगों की समस्या पर आधारित होती है। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।