द लोकतंत्र/ महाराष्ट्र : अनंत चतुर्दशी के शुभ अवसर पर आज पूरे देशभर में गणपति बप्पा को धूमधाम से विदाई दी जा रही है। इसी कड़ी में मुंबई का सबसे चर्चित और लोकप्रिय गणेश मंडल, लालबागचा राजा, अपने भव्य विसर्जन समारोह के लिए पूरी तरह तैयार है। शनिवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब बप्पा के अंतिम दर्शन और विसर्जन यात्रा में शामिल होने के लिए मुंबई की गलियों में उमड़ पड़ा।
लालबागचा राजा विसर्जन यात्रा को देखने और बप्पा को विदा करने के लिए हजारों श्रद्धालु सड़कों पर कतार में खड़े हैं। ढोल-ताशों की गूंज, भक्ति गीत और ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों ने माहौल को भक्ति रस से सराबोर कर दिया है। सुबह से हल्की बारिश के बावजूद भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। गिरगांव चौपाटी से लेकर मुंबई के अन्य प्रमुख घाटों तक श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दे रही है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
विसर्जन समारोह में लाखों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा इंतज़ाम किए हैं। मुंबई पुलिस, यातायात पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों की टीमें जगह-जगह तैनात हैं। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों की मदद से पूरे विसर्जन मार्ग पर नजर रखी जा रही है। भीड़ प्रबंधन के लिए अलग-अलग मार्ग तय किए गए हैं, ताकि विसर्जन यात्रा में किसी तरह की अव्यवस्था न हो।
लालबाग परेल क्षेत्र में स्थित यह गणेश मंडल हर साल गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक भक्तों का केंद्र बना रहता है। 1934 में स्थापित लालबागचा राजा मंडल आज भी न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश और विदेश से आने वाले भक्तों की आस्था का प्रतीक है। माना जाता है कि बप्पा के दरबार में मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, यही वजह है कि श्रद्धालु यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं।
भक्तों की मनोकामनाएँ और परंपरा
लालबागचा राजा का आकर्षण केवल भव्य सजावट और मूर्ति की भव्यता तक सीमित नहीं है। यहां आने वाले भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की उम्मीद से बप्पा के सामने नतमस्तक होते हैं। कई श्रद्धालु यह मान्यता लेकर आते हैं कि लालबागचा राजा हर किसी की फरियाद सुनते हैं और उनकी झोली खाली नहीं लौटाते। यही कारण है कि बप्पा का यह पंडाल हर साल करोड़ों श्रद्धालुओं का केंद्र बनता है।
विसर्जन यात्रा के दौरान मुंबई की गलियां एक रंगीन उत्सव में तब्दील हो जाती हैं। हजारों की संख्या में भक्त ढोल-ताशों और DJ की धुन पर थिरकते नज़र आते हैं। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग हर कोई इस भक्ति यात्रा में शामिल होकर बप्पा को विदाई देता है। इस दौरान भव्य मूर्तियों को पंडालों से निकाला जाता है और जयकारों के बीच विसर्जन स्थल की ओर ले जाया जाता है।
गणेशोत्सव केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक धड़कन है। यहां का हर गली-मोहल्ला इन दस दिनों तक गणपति बप्पा की भक्ति और उत्साह से गूंजता रहता है। खासकर लालबागचा राजा का आकर्षण तो ऐसा है कि लोग घंटों लाइन में लगकर सिर्फ एक झलक पाने के लिए इंतजार करते हैं। आज बप्पा की विदाई के साथ ही गणेशोत्सव का समापन हो रहा है, लेकिन भक्तों के दिलों में यह विश्वास है कि बप्पा अगले साल फिर धूमधाम से पधारेंगे और उनके जीवन को खुशियों से भर देंगे।