द लोकतंत्र : देवरिया आबकारी विभाग ने आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ाते हुए लोकसभा चुनाव के बीच देशी शराब ठेकों की लॉटरी कर दी। दरअसल, ज़िला आबकारी विभाग ने आचार संहिता लागू होने के बावजूद 06 सृजित एवं 10 नवसृजित आबकारी दुकानों के लिए तीसरे चरण की नीलामी हेतु आवेदन मंगाया था। इसके लिए 1 मई को विभाग द्वारा पत्र भी जारी किया गया था। जिसमें 03 मई से 09 मई के मध्य ऑनलाइन आवेदन माँगे गए थे।
बता दें, देशी मदिरा की कुल 16 दुकानों के आवंटन के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए थे जिसका 15 मई 2024 यानी आचार संहिता के बीच आवंटन कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि आचार संहिता के बीच शराब ठेकों की नीलामी प्रक्रिया क्यों और कैसे शुरू की गई। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि विभागीय मिलीभगत से ‘चहेतों’ को सभी 16 शराब के ठेके आवंटित किए गए।
‘पड़ोस’ की वजह से देवरिया में ऐक्टिव है शराब सिंडिकेट
दरअसल, जनपद देवरिया से सटे पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी के चलते सीमावर्ती जनपद होने की वजह से यहाँ शराब माफियाओं का सिंडिकेट काफ़ी ऐक्टिव है। देवरिया के मयखानों में ‘पड़ोस की भीड़’ की वजह से यहाँ शराब का धंधा काफ़ी फल फूल रहा है साथ ही जनपद में एक अवैध सप्लाई चैन भी बन गई है। कच्चे रास्तों के ज़रिए पड़ोसी राज्यों में देवरिया से शराब की अवैध तस्करी हो रही है।
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आरोप है कि शराब तस्करों को फ़ायदा पहुँचाने के उद्देश्य से चुनावी आचार संहिता लागू होने के बावजूद कई डमी आवंटन हुए हैं। इस पूरे प्रकरण में देवरिया के DEO और आबकारी विभाग के उच्चाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। बता दें, आचार संहिता के दौरान किसी भी तरह का सरकारी टेंडर या लॉटरी बिना चुनाव आयोग के अनुमति के नहीं की जा सकती है।