द लोकतंत्र: नवी मुंबई के नेरुल इलाके में स्थित सुश्रुषा अस्पताल में सोमवार, 11 अगस्त की दोपहर को अचानक आग लग गई। यह घटना अस्पताल के बेसमेंट में हुई, जिससे पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जानकारी मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
अस्पताल में आग लगने के समय कुल 21 मरीज भर्ती थे, जिनमें से चार मरीज आईसीयू में थे। दमकल कर्मियों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। 20 मरीजों को अस्पताल की दूसरी शाखा में शिफ्ट किया गया, जबकि एक मरीज को वाशी स्थित फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया।
तेज़ी से चला रेस्क्यू ऑपरेशन
आग की सूचना 11:58 बजे मिली, जिसके बाद रीजनल फायर ऑफिसर गजेन्द्र सुविष्कर के नेतृत्व में फायर ब्रिगेड की पांच गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। दमकल कर्मियों ने एक तरफ से आग बुझाने और दूसरी तरफ से मरीजों के रेस्क्यू का काम एक साथ शुरू किया। विशेष ऑक्सीजन एम्बुलेंस का इस्तेमाल कर आईसीयू के मरीजों को सुरक्षित दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया।
बेसमेंट पूरी तरह जलकर खाक
अधिकारियों के अनुसार आग से बेसमेंट पूरी तरह जल गया, जबकि उठता धुआं ऊपरी मंजिलों तक फैल गया। आग बुझाने में लगभग एक घंटे का समय लगा। फिलहाल आग लगने के कारणों की जांच जारी है और प्राथमिक तौर पर शॉर्ट सर्किट की संभावना से इनकार नहीं किया गया है।
फायर ब्रिगेड का बयान
फायर ऑफिसर गजेन्द्र सुविष्कर ने बताया कि राहत की बात यह है कि इस हादसे में कोई भी मरीज घायल नहीं हुआ। सभी 21 मरीज सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए और पूरे अस्पताल में सर्च ऑपरेशन भी पूरा कर लिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल प्रशासन और दमकल विभाग के त्वरित सहयोग के कारण एक बड़ा हादसा टल गया।
स्थानीय प्रशासन अलर्ट
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने नवी मुंबई के सभी अस्पतालों को फायर सेफ्टी नियमों की समीक्षा और पालन करने के निर्देश दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए अस्पतालों में नियमित फायर ड्रिल और उपकरणों की जांच जरूरी है।
नवी मुंबई के नेरुल में हुआ यह हादसा भले ही किसी की जान नहीं ले पाया, लेकिन यह अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।