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प्रेमानंद महाराज के विवादित बयान से बवाल, मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने किया विरोध

द लोकतंत्र: उत्तर प्रदेश में कथावाचकों और धर्मगुरुओं के विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान पर विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब हिंदू संत प्रेमानंद महाराज के एक कथन ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ संत का बयान
मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने आज की पीढ़ी के युवाओं के चरित्र पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “अगर कोई युवक चार लड़कियों से संबंध बनाता है, तो वह अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रह सकता, क्योंकि उसे व्यभिचार की आदत लग जाती है।”

उन्होंने लड़कियों के चरित्र पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा, “जो लड़की चार पुरुषों से संबंध बना चुकी होती है, वह जीवन में एक ही पति को स्वीकार करने में असमर्थ रहती है। ऐसी लड़कियों में समर्पण की भावना नहीं रह जाती।” प्रेमानंद महाराज ने दावा किया कि 100 में से मुश्किल से दो-चार कन्याएं ही पवित्र जीवन जीती हैं।

मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने किया विरोध
इस बयान पर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “हम संत प्रेमानंद महाराज की बातों से सहमत नहीं हैं। आज देश की आधी आबादी महिलाएं हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं, मायावती मुख्यमंत्री बनीं ये महिलाओं की ताकत का प्रमाण है।”

राजभर ने यह भी कहा कि ऐसे बयानों से महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचती है और यह समाज को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास है।

बढ़ सकता है विवाद
संत प्रेमानंद महाराज के बयान पर जहां एक ओर सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर इस बयान ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। कुछ लोगों का मानना है कि धार्मिक मंच से ऐसे निजी और महिला विरोधी बयानों से बचना चाहिए, जबकि अन्य इसे “सामाजिक चिंता” बता रहे हैं।

धर्मगुरुओं द्वारा सार्वजनिक मंच से दिए जाने वाले बयानों की जवाबदेही और मर्यादा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि समाज के प्रभावशाली लोग संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ अपने विचार प्रस्तुत करें ताकि किसी वर्ग की भावनाएं आहत न हों।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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