द लोकतंत्र: शिवपुरी जिले के बैराड़ कस्बे में एक युवक के साथ तालिबानी-style की शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने प्रशासन, राजनीति और समाज की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक वायरल वीडियो में देखा गया कि एक युवक को सिर पर जूता रखकर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मंगवाई गई और यह सब बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में हुआ।
यह मामला तब सामने आया जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। कांग्रेस समेत कई संगठनों ने इस घटना पर विरोध जताया। पीड़ित परिवार ने पहले शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया था, लेकिन एक नगर सैनिक की पहल पर पुलिस ने दो आरोपियों कुलदीप रावत और छोटू रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। छोटू रावत को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि कुलदीप अब भी फरार है।
क्या था पूरा मामला?
यह घटना शनिवार को बैराड़ थाने के पास घटी। पहले तालाब पर मनीष गुप्ता के बेटे सार्थक और कुलदीप रावत के बीच विवाद हुआ था, जो मारपीट तक पहुंचा। विवाद को सुलझाने के लिए स्थानीय नेता और समाजसेवी इकट्ठा हुए और पंचायत की गई। फैसला हुआ कि सार्थक, कुलदीप और छोटू के जूते अपने सिर पर रखकर माफी मांगेगा, तभी मामला खत्म होगा।
स्थानीय नेताओं और ग्रामीणों की मौजूदगी में सार्थक ने दबाव में आकर ऐसा किया। वीडियो में यह साफ देखा जा सकता है कि युवक के सिर पर जूता रखवाया गया और माफी मंगवाई गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरी घटना थाने के सामने हुई और कोई भी पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचा।
भाजपा नेताओं पर उठे सवाल
कई चश्मदीदों के अनुसार, घटना के दौरान कुछ भाजपा नेता भी मौजूद थे, जो मूकदर्शक बने रहे। भाजपा सांसद और पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा के भी बैठक में होने की बात सामने आई है। कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और सीएम मोहन यादव की सरकार को आड़े हाथ लिया।
वैश्य समाज और कांग्रेस का विरोध
इस अपमानजनक घटना पर वैश्य समाज में आक्रोश है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर लिखा, “सरकार आपकी है, लेकिन सजाएं तालिबानी दी जा रही हैं। थाने बंद हैं या पुलिस छुट्टी पर है?”
इस घटना ने पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर गंभीर बहस को जन्म दिया है। सवाल यह भी उठता है कि क्या सियासी दबाव और पंचायतों का फैसला संविधान से ऊपर हो गया है?