द लोकतंत्र : राजस्थान के अजमेर में बुधवार (4 दिसंबर) दोपहर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह को बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद जांच एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया। यह धमकी जिला कलेक्टर के दफ्तर में भेजे गए एक ईमेल के माध्यम से सामने आई, जिसमें दरगाह के साथ ही अजमेर के परमाणु संयंत्र और कलेक्ट्रेट परिसर को उड़ा देने की बात कही गई थी। सूचना मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां तत्काल अलर्ट मोड पर आ गईं।
सुरक्षा प्रोटोकॉल और सर्च ऑपरेशन
एसपी वंदिता राणा ने इस संवेदनशील मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू किया।
- दरगाह खाली: धमकी को गंभीरता से लेते हुए दरगाह परिसर को पूरी तरह से खाली कराया गया। श्रद्धालुओं को सुरक्षित रूप से बाहर निकालने के बाद, बम डिस्पोजल स्क्वाड (BDS) और डॉग स्क्वाड के साथ व्यापक सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
- कोई संदिग्ध वस्तु नहीं: गहन जांच के बाद, एसपी राणा ने पुष्टि की कि टीम को किसी भी प्रकार की कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है। एसपी ने इसे एक अनवैरिफाइड अकाउंट से आया हुआ ईमेल बताया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
खुफिया एजेंसियों की चुनौती: ईमेल स्रोत की तलाश
धमकी झूठी होने के बावजूद, इसने सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
- अहमियत वाले निशाने: दरगाह जैसे पवित्र स्थल के अलावा परमाणु संयंत्र जैसे अतिसंवेदनशील राष्ट्रीय महत्व के प्रतिष्ठान को निशाना बनाने की धमकी मिलना गंभीर चिंता का विषय है।
- साइबर जांच: एजेंसियां अब ईमेल के स्रोत का पता लगाने में जुटी हैं। एसपी राणा ने कहा कि ईमेल कहाँ और किसने भेजा है, इसकी वैरिफिकेशन की जा रही है। अमूमन इस तरह की झूठी धमकियां साइबर स्पेस के माध्यम से दी जाती हैं, जिसमें आईपी एड्रेस और डिजिटल फुटप्रिंट की गहन जांच की आवश्यकता होती है।
अजमेर के जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन और धार्मिक केंद्र में इस तरह की घटनाएं न केवल सुरक्षा तंत्र पर दबाव बढ़ाती हैं, बल्कि आम जनता में अफरा-तफरी और भय का माहौल भी पैदा करती हैं। सुरक्षा एजेंसियों को इस घटना के मूल तक पहुँचकर झूठी कॉल करने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

