द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट परिसर में सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर हुए हमले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। विपक्षी दलों और कई वरिष्ठ नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे केवल न्यायपालिका पर हमला नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र पर प्रत्यक्ष हमला बताया।
ह घटना न्यायपालिका की गरिमा पर हमला
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पर हमला न केवल उनके खिलाफ है, बल्कि हमारे संविधान पर भी हमला है। सोनिया गांधी ने अपने बयान में कहा, मुख्य न्यायाधीश गवई बहुत दयालु और संयमित रहे हैं। पूरे देश को गहरी पीड़ा और आक्रोश के साथ उनके साथ एकजुटता से खड़ा होना चाहिए। यह घटना न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
विपक्षी नेताओं ने भी की आलोचना
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस हमले की निंदा करते हुए इसे ‘शर्मनाक और घृणित’ बताया। उन्होंने कहा कि यह घटना समाज में नफरत और कट्टरता की गहराई को दर्शाती है। खरगे ने कहा, यह केवल एक व्यक्ति को धमकाने का प्रयास नहीं, बल्कि न्यायपालिका और कानून के शासन की गरिमा पर हमला है। न्याय और तर्क की जीत हो, धमकी की नहीं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसे संघ परिवार द्वारा फैलाई जा रही नफरत का प्रतिबिंब करार देते हुए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि इसे केवल व्यक्तिगत कृत्य मानना असहिष्णुता और बढ़ते विभाजनकारी माहौल को नजरअंदाज करना होगा। विजयन ने चेतावनी दी कि जब सांप्रदायिक कट्टरता मुख्य न्यायाधीश तक को निशाना बनाने की हिम्मत करती है, तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने भी कहा कि यह घटना न्यायपालिका पर हमला होने के साथ-साथ संविधान का गंभीर अपमान है। उन्होंने कहा, न्यायपालिका लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए है। सर्वोच्च न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश पर हमला करना हमारे लोकतंत्र और राष्ट्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
सनातन का अपमान नहीं सहेंगे कहकर जूता फेंका
क्या है मामला? सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूते फेंकने की कोशिश की। यह प्रयास असफल रहा, और सुरक्षा कर्मियों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें कोर्ट रूम से बाहर ले जाया। कथित तौर पर वकील इस घटना से पहले भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना को लेकर सीजेआई की टिप्पणी से असंतुष्ट थे। कोर्ट में जाते समय वकील ने कहा, सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि इस तरह की किसी भी असंयमित घटना को गंभीरता से लिया जाएगा और सुरक्षा में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। घटना ने देशभर में न्यायपालिका और कानून के प्रति नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। विपक्ष, राज्य सरकारें और नागरिक संगठन इस हमले की निंदा कर न्यायपालिका के प्रति अपनी एकजुटता दिखा रहे हैं।