द लोकतंत्र : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ऐतिहासिक प्रचंड जीत के बाद राज्य की राजनीतिक राजधानी पटना में चहलकदमी बढ़ गई है। NDA ने 243 सीटों में से 202 पर जीत हासिल कर स्पष्ट जनादेश प्राप्त किया है। सुबह से ही मुख्यमंत्री आवास पर बैठकों और मंथन का दौर जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने विश्वस्त नेताओं, जिनमें ललन सिंह, संजय झा, विजय चौधरी और उमेश कुशवाहा शामिल हैं, के साथ अहम बैठकें कर रहे हैं।
यह जीत NDA के सामूहिक नेतृत्व और घटक दलों के सहयोग का परिणाम है। इस चुनाव में जद(यू) को 85 सीटों पर जीत मिली है। हालांकि, चुनाव पूर्व ही यह स्पष्ट किया गया था कि NDA नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ेगा। परिणाम आने के बाद अब सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या नीतीश कुमार ही गठबंधन का नेतृत्व करते रहेंगे या सत्ता के समीकरण में कोई परिवर्तन होगा। सहयोगी दलों के नेताओं का रुख इस समय काफी मायने रखता है।
मुख्यमंत्री आवास पहुँचे जद(यू) नेता श्याम रजक ने पार्टी का आधिकारिक रुख स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा, “यह बिहार की जनता की जीत है, जिसने हमारे नेता नीतीश कुमार और NDA पर भरोसा जताया है। उनके काम के आधार पर उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने का जनादेश दिया गया है।” मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में उन्होंने emphatically कहा कि “हमारे पास चेहरा है। कोई दूसरा चेहरा या विकल्प नहीं है। कोई जगह खाली नहीं है।”
अन्य सहयोगी दलों के नेताओं के बयानों में थोड़ी चुप्पी दिखी, जिसने राजनीतिक गलियारों में कयासों को हवा दी है। एलजेपी नेता चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री आवास पहुँचकर नीतीश कुमार को बधाई दी और गठबंधन की प्रचंड बहुमत वाली जीत का श्रेय सभी सहयोगी दलों को दिया। हालाँकि, जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया, बल्कि केवल जीत पर ध्यान केंद्रित किया।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन भी मुख्यमंत्री आवास पहुँचे। उन्होंने भी जीत को ऐतिहासिक और प्रचंड बताया, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जद(यू) के स्पष्ट बयान के बावजूद अन्य सहयोगी दलों की चुप्पी गठबंधन की आंतरिक गतिशीलता को दर्शाती है। विश्लेषक के अनुसार, “यह स्वाभाविक है कि जीत के बाद सहयोगी दल अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास करते हैं। जद(यू) अपनी सीटों के दम पर नीतीश कुमार की दावेदारी को मजबूत कर रहा है, जबकि चिराग पासवान जैसे सहयोगियों की चुप्पी आगे की सौदेबाजी (Bargaining) का संकेत हो सकती है। हालाँकि, NDA का प्रचंड बहुमत गठबंधन को स्थिरता प्रदान करेगा।”
NDA की 202 सीटों की ऐतिहासिक जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की जनता ने गठबंधन के काम और नेतृत्व पर भरोसा जताया है। जद(यू) ने नीतीश कुमार को निर्विवाद मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है। अब देखना यह होगा कि सहयोगी दल, विशेषकर वे जिनकी सीट संख्या बढ़ी है, इस जनादेश के भीतर सत्ता हस्तांतरण और मंत्रिमंडल के गठन में किस प्रकार की भूमिका निभाते हैं। मुख्यमंत्री आवास पर चल रहा यह मंथन जल्द ही बिहार के अगले राजनीतिक भविष्य की तस्वीर स्पष्ट करेगा।

