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बीजेपी को RSS की नहीं थी ज़रूरत, फिर क्यों पलट दिया इंदिरा गांधी का 58 साल पहले का आदेश

BJP did not need RSS, then why did it overturn Indira Gandhi's order of 58 years ago

द लोकतंत्र : आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बीजेपी को RSS की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि भाजपा लगातार बढ़ रही है और अब यह उस स्थिति से विकसित हो चुकी है, जहां उसे आरएसएस की जरूरत थी। अब बीजेपी अपने दम पर सक्षम है और अपना काम खुद चलाती है। जेपी नड्डा के इस बयान के बाद लोकसभा चुनाव में आरएसएस न्यूट्रल हो गई थी जिसका प्रभाव पार्टी की परफॉर्मेंस पर पड़ा और बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत से दूर हो गई।

हालाँकि, मोदी सरकार के एक आदेश की चर्चा आज सोशल मीडिया पर हो रही है जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों का आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल न हो पाने की बाध्यता को ख़त्म कर दिया है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) पर लगी उस पाबंदी को हटा लिया गया है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को संघ के कार्यक्रम में जाने पर मनाही थी।

केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम बीजेपी और आरएसएस के रिश्ते के बीच पैदा हुए कड़वाहट को ख़त्म करने की क़वायद के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्र सरकार के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर का एक वीडियो आरएसएस के एक्स हैंडल पर शेयर की गई है जिसमें उन्होंने केंद्रीय सरकार के इस निर्णय को भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला बताया है।

बीते दिनों, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2024 के हार की वजहों में एक वजह अति आत्मविश्वास को बताया था। उन्होंने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा कि कभी-कभी अति आत्मविश्वास का खामियाजा भुगतना पड़ता है। संभवतः योगी का इशारा इस ओर भी रहा होगा जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीजेपी के चुनावी मैनेजमेंट में आरएसएस की प्रासंगिकता को ख़ारिज किया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस आदेश को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि, 4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है।

बहरहाल, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है जिसके बाद से सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे।

इंदिरा गांधी का वह फ़ैसला जिसमें RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगा था प्रतिबंध

दरअसल, 7 नवंबर 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। इस आदेश का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को किसी भी सांप्रदायिक या राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से रोकना था, जिससे सरकारी तंत्र की निष्पक्षता और समर्पण बनाए रखा जा सके। तत्कालीन सरकार का कहना था कि यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि सरकारी कर्मचारी किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक संगठन की गतिविधियों से दूर रहें और सरकारी प्रशासन में निष्पक्षता और स्वच्छता बनी रहे।

नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है

गृहमंत्रालय के इस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि, फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था – और यह सही निर्णय भी था।

उन्होंने आगे लिखा, यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। 4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।

Team The Loktantra

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