द लोकतंत्र: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों (Central Government Employees & Pensioners) के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) सेहत सेवाओं की बैकबोन मानी जाती है। बीते दस सालों में सरकार ने इस स्कीम को लगातार डिजिटल और आधुनिक बनाने के प्रयास किए हैं। सातवें वेतन आयोग (2016–2025) के दौरान कई बड़े बदलाव लागू हुए। अब जबकि आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की तैयारियां चल रही हैं, चर्चा है कि क्या CGHS को खत्म कर कोई नया इंश्योरेंस बेस्ड मॉडल लागू किया जाएगा।
हाल में हुए सुधार
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने CGHS से जुड़े कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू किए।
प्राइवेट अस्पतालों में वार्ड की एलिजिबिलिटी बेसिक सैलरी के आधार पर तय हुई।
CGHS कार्ड का स्वतः जनरेशन शुरू हुआ, जिससे कर्मचारियों को आसानी हुई।
सरकारी अस्पतालों में बिना रेफरल इलाज की सुविधा दी गई।
प्राइवेट अस्पतालों में एक रेफरल पर तीन स्पेशलिस्ट से परामर्श की अनुमति मिली।
सीनियर सिटिज़न्स के लिए उम्र की सीमा 70 वर्ष कर दी गई।
2025 में लागू हुए नए नियम
साल 2025 में CGHS को और अधिक डिजिटल बनाने की दिशा में कई कदम उठाए गए।
मेडिकल डिवाइस जैसे CPAP, BiPAP और ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर की अप्रूवल प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई।
नया HMIS पोर्टल लॉन्च हुआ, जिसके जरिए सभी पेमेंट किए जाएंगे।
MyCGHS ऐप लाया गया, जिसमें कार्ड ट्रांसफर और डिपेंडेंट जोड़ने जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
फिजियोथेरेपी सेवाओं को घर तक पहुंचाने की शुरुआत हुई।
मेडिकल इक्विपमेंट अप्रूवल अब सिर्फ 5 दिन में हो जाता है और SMS/ईमेल से जानकारी मिलती है।
8वें वेतन आयोग से उम्मीदें
आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) लागू होने की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है, लेकिन अभी इसके Terms of Reference और चेयरमैन व मेंबर्स की नियुक्ति बाकी है। संभावना है कि कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बदलाव 2028 तक दिखाई देंगे, हालांकि इसका प्रभाव 1 जनवरी 2026 से ही माना जाएगा।
क्या CGHS की जगह नई स्कीम आएगी?
सूत्रों के अनुसार सरकार CGEPHIS (Central Government Employees & Pensioners Health Insurance Scheme) लाने पर विचार कर रही है। यह इंश्योरेंस बेस्ड स्कीम होगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर हो सकती हैं।
कर्मचारियों की डिमांड है कि जब तक नई स्कीम लागू नहीं होती, तब तक CS(MA) और ECHS अस्पतालों को भी CGHS नेटवर्क में शामिल किया जाए। साथ ही, फिटमेंट फैक्टर बढ़ने के बाद अगर योगदान राशि बढ़े, तो सुविधाओं में भी उसी अनुपात में सुधार होना चाहिए।
पिछले दस सालों में CGHS ने बड़ा बदलाव देखा है। डिजिटलाइजेशन और ट्रांसपेरेंसी ने इसे अधिक यूज़र-फ्रेंडली बनाया है। अब नज़र 8वें वेतन आयोग पर है, जिससे न सिर्फ सैलरी और पेंशन में राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा भी और व्यापक हो सकता है।