द लोकतंत्र/ रायपुर : छत्तीसगढ़ में आज लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का आज तीसरा दिन था, जिसे ‘संध्या अर्घ्य’ के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपनी पत्नी कौशल्या साय के साथ जशपुर जिले के दुलदुला छठ घाट पहुंचे और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता के सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए कहा कि छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक जीवंत उदाहरण है, जहां प्रकृति, अनुशासन और श्रद्धा एक सूत्र में बंधे हैं।
सीएम साय ने श्रद्धालुओं को छठ पर्व की शुभकामनाएं दीं
सीएम विष्णुदेव साय ने घाट पर उपस्थित व्रतधारियों और श्रद्धालुओं से संवाद किया और सभी को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व और सौभाग्य की बात है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र में इस महापर्व के आयोजन में शामिल हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा, छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमारे समाज के आत्मसंयम, शुद्धता और सामूहिक आस्था का पर्व है। छठी मइया से प्रार्थना है कि वे प्रदेशवासियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें और छत्तीसगढ़ को निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रखें।
घाट पर सुरक्षा और स्वच्छता के व्यापक प्रबंध
दुलदुला घाट पर छठ पूजा के अवसर पर भव्य दृश्य देखने को मिला। हजारों श्रद्धालुओं ने पारंपरिक गीतों और छठी मइया के जयकारों के बीच डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। घाट पर सुरक्षा और स्वच्छता के व्यापक प्रबंध किए गए थे। प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर घाट परिसर को सजाया था। सीएम साय का हेलीकॉप्टर दुलदुला के हेलीपैड ग्राउंड पर उतरा, जहां भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया।
मुख्यमंत्री के आगमन से घाट का माहौल और अधिक उल्लासपूर्ण हो गया। लोगों ने अपने घरों से फल, ठेकुआ, और प्रसाद लेकर घाट पर पहुंचकर सूर्यदेव की पूजा की। यह पर्व सूर्य की उपासना के माध्यम से प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने और पारिवारिक समृद्धि की कामना करने का प्रतीक है।
छठ पर्व प्रदेश की लोकसंस्कृति और सामाजिक एकता का हिस्सा बन चुका है
छत्तीसगढ़ में बीते कुछ वर्षों से छठ पूजा का दायरा तेजी से बढ़ा है। पहले यह पर्व बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़े परिवारों तक सीमित था, लेकिन अब यह प्रदेश की लोकसंस्कृति और सामाजिक एकता का हिस्सा बन चुका है। रायपुर से लेकर जशपुर और सरगुजा तक, छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ इस बात का प्रमाण है कि यह पर्व अब भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर एकता और लोक आस्था का उत्सव बन गया है।
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा कि सरकार प्रदेश की सांस्कृतिक परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी से अपील की कि छठ जैसे पर्व हमें अनुशासन, पर्यावरण संरक्षण और सामूहिक सद्भाव की सीख देते हैं, जिन्हें हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, सूर्यदेव की ऊर्जा हमें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। छठी मइया की कृपा से छत्तीसगढ़ खुशहाल और समृद्ध बने, यही मेरी हार्दिक प्रार्थना है।

