द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को कांग्रेस ने ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ महारैली आयोजित की, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और कई वरिष्ठ नेताओं ने मंच साझा किया। बड़ी भीड़ के बीच अपने भाषण में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग, केंद्र सरकार और आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाए।
राहुल ने कहा कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रह गया है, वह सरकार के साथ मिलकर फैसले लेने लगा है। राहुल ने हाल ही में बनाए गए कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयुक्तों को ऐसी ‘इम्यूनिटी’ दी गई है कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। राहुल ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक कदम है और कांग्रेस सत्ता में आते ही इस कानून को बदलकर चुनाव आयोग को जवाबदेह संस्था बनाएगी। इसी दौरान उन्होंने चुनाव आयुक्तों पर निशाना साधते हुए कहा, आप भारत के CEC हैं, नरेंद्र मोदी के नहीं।
राहुल गांधी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा
राहुल गांधी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उनका भाषण पहले से तैयार था, लेकिन रास्ते में अंडमान-निकोबार में भागवत जी के दिए बयान की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने इसे पूरी तरह बदल दिया। राहुल ने कहा कि भारत की संस्कृति की नींव सत्य पर आधारित है- सत्यम शिवम सुंदरम लेकिन आरएसएस की विचारधारा सत्य को महत्व नहीं देती। राहुल के अनुसार, आरएसएस और मोहन भागवत के विचार में सत्ता और ताकत ही सर्वोच्च मूल्य हैं, जबकि सत्य और संवैधानिक मूल्यों के लिए कोई स्थान नहीं।
यह ‘सत्ता बनाम सत्य’ की लड़ाई, सत्य हमेशा जीतता है
रैली में राहुल ने गृह मंत्री अमित शाह को भी कठघरे में खड़ा किया और कहा कि उन्होंने वोट चोरी के मुद्दे पर जो तकनीकी और विस्तृत सवाल उठाए, उनका जवाब देने में सरकार असमर्थ रही। राहुल के अनुसार, संसद में उनके सवालों के सामने अमित शाह के पास कोई जवाब नहीं था और इसीलिए वे घबराए हुए दिखे। Raga ने इसे ‘सत्ता बनाम सत्य’ की लड़ाई बताया और दावा किया कि सत्य हमेशा जीतता है। उन्होंने कहा कि देशभर से लोग इस संघर्ष से जुड़ रहे हैं और यही लोकतंत्र की असली ताकत है।
बता दें, कांग्रेस की यह महारैली सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि 2024 और आगे की राजनीति के लिए एक रणनीतिक संदेश मानी जा रही है। पार्टी ने वोटिंग सिस्टम, चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सरकारी हस्तक्षेप जैसे मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाकर अपने चुनावी स्वरूप को और स्पष्ट कर दिया है। रैली का उद्देश्य यह दिखाना था कि कांग्रेस केवल सत्ता विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सुरक्षा और संस्थाओं की निष्पक्षता की लड़ाई लड़ रही है।
रैली के अंत में राहुल गांधी ने दोहराया कि यह लड़ाई केवल राजनीतिक सत्ता बदलने की नहीं, बल्कि ‘सत्य की पुनर्स्थापना’ की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि यदि सत्य का साथ मिल जाए, तो नरेंद्र मोदी, अमित शाह और आरएसएस–बीजेपी को सत्ता से हटाना मुश्किल नहीं होगा। रामलीला मैदान से उठी यह आवाज कांग्रेस की चुनावी रणनीति का संकेत देती है और आगामी राजनीतिक समीकरणों पर इसका प्रभाव साफ दिख सकता है।

