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CP Radhakrishnan: महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा, अब संभालेंगे उपराष्ट्रपति का दायित्व

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द लोकतंत्र: सीपी राधाकृष्णन ने भारत के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। अब आचार्य देवव्रत अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल का भी कार्यभार देखेंगे।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी सूचना के अनुसार, सीपी राधाकृष्णन 12 सितंबर को देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन को 452 मत मिले, जबकि विपक्षी INDIA गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए।

उपराष्ट्रपति चुनाव का पूरा घटनाक्रम

10 सितंबर को हुए मतदान में संसद के नए भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग हुई। कुल 788 सांसदों में से 781 सदस्य वोट डालने के पात्र थे, जिनमें 768 सांसदों ने मतदान किया। मतगणना के बाद एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को बहुमत मिला और उन्होंने निर्णायक जीत दर्ज की।

सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सीपी राधाकृष्णन ने 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी। इससे पहले वे झारखंड और तेलंगाना के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

उनका राजनीतिक करियर 1998 में शुरू हुआ जब वे पहली बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद बने। 1999 में उन्होंने दोबारा जीत दर्ज की। राधाकृष्णन भाजपा में कई अहम पदों पर भी कार्य कर चुके हैं।

1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई की। राजनीति में उनके योगदान और कार्यशैली ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में स्थापित किया।

आचार्य देवव्रत को अतिरिक्त जिम्मेदारी

सीपी राधाकृष्णन के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। देवव्रत पहले भी हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं और शिक्षा व कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं।

सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना उनके लंबे राजनीतिक सफर का महत्वपूर्ण पड़ाव है। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल और संसदीय अनुभव से उम्मीद है कि वे देश के उच्च संवैधानिक पद पर संतुलित और प्रभावी भूमिका निभाएंगे।

Team The Loktantra

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