द लोकतंत्र : पश्चिम बंगाल के पर्वतीय जिले दार्जिलिंग में लगातार हो रही भारी बारिश ने भयंकर तबाही मचा दी है। शनिवार (4 अक्टूबर 2025) को हुए भूस्खलन (Landslide) में अब तक कम से कम 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इस हादसे में कई घर मलबे में समा गए हैं और प्रमुख सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है।
अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि कई इलाकों में राहत और बचाव अभियान (Rescue Operation) अभी भी जारी है। राहत टीमों को खराब मौसम और फिसलन भरी जमीन के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
NDRF और प्रशासन का राहत अभियान जारी
दार्जिलिंग जिले में जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन टीमों (NDRF) की ओर से बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र मिरिक झील इलाका बताया जा रहा है, जहां एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।
उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने बताया कि स्थिति चिंताजनक है। उनके अनुसार, मिरिक में 11 और दार्जिलिंग में 6 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि “हालात अभी नियंत्रण में नहीं हैं, और मृतकों की संख्या में वृद्धि संभव है।”
भूस्खलन से सैकड़ों घरों को नुकसान
भूस्खलन की चपेट में आए इलाकों में सर्साली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धर गांव (मेची) शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि धर गांव से चार लोगों को जीवित निकाला गया है। वहीं कई घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। मिरिक-सुखियापोखरी मार्ग समेत कई पहाड़ी रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे गांवों का संपर्क कट गया है।
IMD ने जारी किया रेड अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दार्जिलिंग और कालिंपोंग सहित उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। 6 अक्टूबर तक अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना जताई गई है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दार्जिलिंग में हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त किया और शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना जताई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार हालात पर नज़र बनाए हुए है और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता दी जाएगी।
दार्जिलिंग की इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु असंतुलन और अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल प्रशासन का ध्यान राहत और पुनर्वास पर केंद्रित है।