द लोकतंत्र : देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति लगातार नाजुक बनी हुई है। शहर की हवा 12वें दिन भी ‘बहुत खराब’ (Very Poor) श्रेणी में दर्ज की गई है। मंगलवार, 25 नवंबर को दिल्ली का कुल एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 353 रहा, जबकि 24 घंटे का औसत AQI 352 रिकॉर्ड किया गया। इसी बीच, मौसम विभाग (IMD) ने इस सीजन का सबसे कम अधिकतम तापमान 25.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है, जो बताता है कि ठंडी हवा के साथ प्रदूषक तत्व भी ज़मीन के नज़दीक जमा हो रहे हैं।
प्रदूषण का प्रमुख कारण: वाहन उत्सर्जन
दिल्ली के प्रदूषण स्रोतों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ है कि वाहनों का योगदान अब सबसे बड़ी चिंता बन गया है।
- DSS रिपोर्ट: पुणे की भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) की निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान सर्वाधिक करीब 19.6% रहा। इसके विपरीत, पराली जलाने से आया प्रदूषण मात्र 1.5% दर्ज हुआ।
- बुधवार का अनुमान: अनुमान है कि बुधवार को भी यही पैटर्न रहने का अंदेशा है, जहाँ वाहन प्रदूषण करीब 21% तक पहुँच सकता है।
- समीर ऐप डेटा: सीपीसीबी की ‘समीर’ ऐप के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली के 38 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से केवल रोहिणी में AQI 401 दर्ज हुआ, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है, जबकि सोमवार को 15 स्टेशन गंभीर स्थिति में थे। यह दर्शाता है कि हवा सोमवार के स्तर से बेहतर हुई है, लेकिन समग्र स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
अगले 6 दिनों का पूर्वानुमान और स्वास्थ्य पर असर
वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने आने वाले दिनों के लिए कोई खास राहत न मिलने का संकेत दिया है।
- खराब स्थिति का अंदेशा: 26 से 28 नवंबर तक हवा में कोई खास सुधार नहीं होगा। अगले 6 दिनों तक AQI ‘बहुत खराब’ से लेकर ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रह सकता है।
- स्वास्थ्य जोखिम: इन हालात में लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
इथियोपिया के ज्वालामुखी से नई चुनौती
दिल्ली की हवा बिगड़ने की एक और अप्रत्याशित चिंता सामने आई है। इथियोपिया के अफार इलाके में हायली गुब्बी नाम का ज्वालामुखी फट गया है।
- राख का फैलाव: इस ज्वालामुखी की राख करीब 14 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचकर पूर्व दिशा में फैल रही है।
- IMD का अलर्ट: मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि राख का बड़ा हिस्सा चीन की तरफ जा रहा है, लेकिन मॉडल्स ने दिल्ली-एनसीआर, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा पर इसके हल्के प्रभाव की संभावना जरूर जताई है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास और जटिल हो सकते हैं।
स्पष्ट है कि पराली की घटनाओं में कमी के बावजूद, स्थानीय प्रदूषण स्रोत, विशेषकर वाहनों का उत्सर्जन, राजधानी की वायु गुणवत्ता को लगातार संकट की ओर धकेल रहा है, जिसके लिए ठोस और दीर्घकालिक उपाय तत्काल आवश्यक हैं।

