द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : दिल्ली–एनसीआर में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक सीमा को पार कर गया है। राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के ऊपर पहुंच चुका है, जो इसे ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रखता है। बढ़ते स्मॉग, घटती दृश्यता और बढ़ते स्वास्थ्य खतरे को देखते हुए आयोग ने GRAP-4 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान स्टेज 4) लागू करने का निर्णय लिया है। यह वह स्तर है जब प्रदूषण इतना गंभीर हो जाता है कि प्रशासन को अत्याधिक सख्त कदम उठाने पड़ते हैं।
GRAP-4 के अन्तर्गत कई पाबंदियाँ तुरंत प्रभाव से लागू
GRAP-4 लागू होने के साथ ही दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद में कई पाबंदियाँ तुरंत प्रभाव से लागू कर दी गई हैं। निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि धूल और पार्टिकुलेट मैटर PM2.5/PM10 बढ़ाने में निर्माण क्षेत्र की बड़ी भूमिका होती है। साथ ही, स्टोन क्रशर और संबंधित गतिविधियाँ भी पूरी तरह बंद रहेंगी। इससे हवा में उभरने वाले सूक्ष्म कणों को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
वाहन प्रदूषण भी दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते AQI का बड़ा कारण है। इसलिए GRAP-4 के तहत BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल वाहनों पर रोक लगाई गई है। यह निर्णय उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है जहां ट्रैफिक घना और औद्योगिक गतिविधियाँ अधिक होती हैं। सरकार का मानना है कि इस कदम से सड़क पर पुराने व अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या कम होगी और वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा।
प्रदूषण का सबसे ज़्यादा असर बच्चों पर
प्रदूषण का असर सबसे अधिक बच्चों पर पड़ता है, क्योंकि उनका फेफड़ों का विकास अभी पूर्ण रूप से नहीं होता। इसी कारण सरकार ने कक्षा पांचवीं तक के स्कूलों को हाइब्रिड मोड में संचालित करने का निर्देश दिया है। इससे स्कूल प्रबंधन जरूरत के अनुसार ऑनलाइन व ऑफलाइन कक्षाओं का संयोजन कर सकता है। इस कदम का उद्देश्य बच्चों को जहरीली हवा के सीधे संपर्क से बचाना है।
AQI के अनुसार GRAP चार चरणों में लागू होता है। पहला चरण तब लागू होता है जब AQI 201–300 के बीच होता है, दूसरा चरण 301–400 के बीच, तीसरा 401–450 के बीच और चौथा चरण तब लागू होता है जब AQI 450 से ऊपर पहुंच जाता है। इस चौथे चरण को सबसे गंभीर श्रेणी माना जाता है और इसमें सबसे कठोर कदम उठाए जाते हैं। मौजूदा स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में हवा की गति बेहद कम है, तापमान गिरा हुआ है और प्रदूषक कण वातावरण में फंसे रहने की वजह से AQI और खराब हो सकता है।

