द लोकतंत्र : देश के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इंडिगो एयरलाइंस के संचालन (ऑपरेशन) से जुड़ी दिक्कतों के मामले में प्रारंभिक जांच के आधार पर सख्त कार्रवाई की है। सुरक्षा और संचालन की निगरानी में लापरवाही बरतने के दोष में DGCA ने अपने चार फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टरों को उनकी सेवा से हटा दिया है। यह सभी इंस्पेक्टर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर DGCA के लिए काम कर रहे थे और इनकी सीधी जिम्मेदारी एयरलाइंस, विशेषकर इंडिगो, के सुरक्षा एवं ऑपरेशनल ओवरसाइट (Operational Oversight) की थी। इस सख्त कदम ने भारत में एविएशन सुरक्षा की निगरानी प्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
हाईकोर्ट ने जवाबदेही सुनिश्चित करने को कहा
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट भी सख्त है और उसने फ्लाइट संचालन में रुकावट और एयरपोर्ट पर यात्रियों को हुई असुविधा पर केंद्र सरकार और DGCA से जवाब तलब किया है।
- अव्यवस्था पर सवाल: कोर्ट ने सख्ती से पूछा कि ऐसी अचानक और अप्रत्याशित स्थिति पैदा ही क्यों हुई और एयरपोर्ट पर फंसे यात्रियों की मदद के लिए कौन से तत्काल कदम उठाए गए?
- क्षतिपूर्ति और नाकामी: उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह मुद्दा सिर्फ यात्रियों की परेशानी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आर्थिक नुकसान और पूरे सिस्टम की नाकामी भी शामिल है। अदालत ने विशेष रूप से पूछा कि यात्रियों को उचित मुआवजा (Compensation) देने के लिए क्या कार्रवाई की गई और एयरलाइन स्टाफ की जिम्मेदारी (Accountability) कैसे सुनिश्चित की जाएगी?
DGCA की कार्रवाई का अर्थ और भविष्य का प्रभाव
DGCA द्वारा संविदा पर कार्यरत इंस्पेक्टरों को हटाने का यह फैसला साफ संकेत देता है कि एविएशन सुरक्षा मानकों में किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
- ओवरसाइट की समीक्षा: यह कार्रवाई संकेत देती है कि DGCA अब एयरलाइंस की निगरानी प्रक्रियाओं को और अधिक कड़ा बनाने जा रहा है ताकि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जा सके।
- नैतिक दबाव: दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख एयरलाइंस और नियामक निकायों (Regulatory Bodies) पर नैतिक दबाव बढ़ाएगा कि वे सिर्फ नियमों का पालन ही न करें, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में यात्री सेवा मानकों को भी बनाए रखें।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम भारतीय उड्डयन क्षेत्र में संचालन और सुरक्षा प्रक्रियाओं के पूर्ण पुनर्मूल्यांकन की ओर ले जाएगा।

