द लोकतंत्र : भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में आज, रविवार (9 नवंबर 2025) को दोपहर 12:06 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.4 मापी गई। भूकंप का केंद्र जमीन के नीचे लगभग 90 किलोमीटर की गहराई पर था। झटके महसूस होते ही कई तटीय इलाकों में लोग दहशत में अपने घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर दौड़ने लगे। राहत की बात यह रही कि अब तक किसी बड़े नुकसान या जनहानि की कोई खबर नहीं मिली है।
रिपोर्ट में अंतर: गहराई को लेकर असमंजस
इस भूकंप को लेकर तीन प्रमुख संस्थानों की शुरुआती रिपोर्ट में गहराई और तीव्रता को लेकर अंतर देखने को मिला, जिससे भूकंप के वास्तविक असर पर भ्रम की स्थिति बनी:
| संस्थान | मापी गई तीव्रता | मापी गई गहराई | वर्गीकरण |
| राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) | 5.4 | 90 किमी | मध्यम (Deep Focus) |
| अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) | 5.5 | – | – |
| जर्मन भूविज्ञान अनुसंधान केंद्र (GFZ) | 6.07 | 10 किमी | उथला (Shallow) |
वैज्ञानिक संबंध: भूकंप जितना उथला (Shallow) होता है (0 से 70 किमी), सतह पर उसके झटके उतने तेज महसूस किए जाते हैं, जिससे नुकसान की आशंका अधिक रहती है। NCS द्वारा बताई गई 90 किमी गहराई वाला यह भूकंप मध्यम श्रेणी का था, जबकि GFZ की 10 किमी गहराई की रिपोर्ट अगर सही होती, तो झटके का असर कहीं अधिक विनाशकारी हो सकता था।
सुनामी की आशंका नहीं, पर सतर्कता जारी
भूकंप के तुरंत बाद ही तटीय क्षेत्रों में सुनामी की आशंका को लेकर चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, कुछ ही समय बाद मलेशिया के भूभौतिकी विभाग और भारतीय सुनामी चेतावनी केंद्र (INCOIS) ने यह स्पष्ट किया कि सुनामी का कोई खतरा नहीं है।
- समुद्री स्थिति: समुद्र की लहरों में किसी भी असामान्य हलचल का पता नहीं चला है।
- सतर्कता: इसके बावजूद, एहतियातन तटीय इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी गई है और मछली पकड़ने वाले जहाजों को गहरे समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
क्यों है अंडमान-निकोबार भूकंपीय रूप से संवेदनशील?
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के भूकंपीय ज़ोन V में आता है, जिसे देश का सबसे संवेदनशील और उच्च-जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है।
- टेक्टोनिक प्लेटें: इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह भारतीय और बर्मा टेक्टोनिक प्लेटों के संगम स्थल पर स्थित है। इन प्लेटों की टकराहट और घर्षण से यहां लगातार भूकंपीय ऊर्जा जमा होती रहती है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती है।
अंडमान-निकोबार क्षेत्र का इतिहास 26 दिसंबर 2004 को आए 9.1 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप और हिंद महासागर सुनामी का गवाह रहा है, जिसमें लगभग 2.3 लाख लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा, 2010 और 2014 में भी 6.0 से अधिक तीव्रता वाले कई झटके यहां महसूस किए गए थे।

