द लोकतंत्र : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लगभग हर उद्योग में अपनी जगह बना रहा है। जैसे-जैसे AI तकनीक आगे बढ़ रहा है, नौकरी और रोज़गार के बाजार पर इसका प्रभाव और भी स्पष्ट होता जा रहा है। सदन के पटल पर पेश मौजूदा आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक़ आने वाले वर्षों और दशकों में भारत के उच्च विकास दर की राह में एआई सबसे बड़ा बाधा बन सकता है। सर्वे में सुझाव दिया गया है कि इसने निपटने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार और प्राइवेट सेक्टर को साझेदारी बनाकर काम करना होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते बड़े पैमाने पर रोजगार पर संकट
दरअसल, पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी के दृष्टिकोण से दो बड़े स्तरों पर तेज़ी से काम हो रहा है- पहली कृत्रिम बुद्धिमता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और दूसरी इंटरनेट ऑफ थिंग्स। जिस तेज़ी से एआई हमारी ज़िंदगी में दखल देते जा रहा है इसमें कोई दो राय नहीं है कि आने वाला वक्त एआइ का होगा। दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते बड़े पैमाने पर रोजगार पर संकट को लेकर चिंताएँ व्यक्त की जा रही है ऐसे में आज सदन में प्रस्तुत हुए आर्थिक सर्वेक्षण में इस पहलू पर भी सरकार ने अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने जो आर्थिक सर्वे तैयार किया है उसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया है। सर्वे में आर्टिफियल इंटेलीजेंस के आविष्कार के बाद उससे सभी प्रकार के वर्कर्स पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जाहिर की गई है। सर्वेक्षण में, दि इकोनॉमिस्ट मैगजीन में इंडीपेंडेंट रिसर्च आर्टिकल के हवाले से बताया गया अगले एक दशक में भारत का सर्सिवेज एक्सपोर्ट्स धीरे-धीरे खात्मे की ओर बढ़ सकता है।
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टेलीकम्यूनिकेशन और इंटरनेट बूम के चलते बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला था लेकिन टेक्नोलॉजी लेवल पर अगले दौर का जो बदलाव आ रहा है उसपर रोक लग सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, इस सब में कॉरपोरेट सेक्टर की समाज के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है। उसे सोचना होगा कि किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लेबर को बढ़ावा दे ना कि इसे खत्म कर दे। सर्वेक्षण के मुताबिक, आईटी सेक्टर में पिछले दो वर्षों में हायरिंग में कमी आई है।
इण्डियन कॉर्पोरेट्स सेक्टर्स नौकरियां पैदा करने की अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से ले
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में यह टिप्पणी की गई है कि रोजगार, केवल इनकम लाने से ही नहीं जुड़ा है बल्कि परिवार और समुदाय के बीच गरिमा (Dignity), आत्म-मूल्य (Self-Worth), आत्म-सम्मान (Self-Esteem) से भी जुड़ा है। इसलिए ज्यादा मुनाफे की लालच में तैर रही भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर के लिए ये जरूरी है कि नौकरियां पैदा करने की अपनी जिम्मेदारी को वो गंभीरता से ले।