द लोकतंत्र/ छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर शनिवार, 17 मई को राज्य में एक बड़ी कार्रवाई देखने को मिली। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) की टीमों ने राज्यभर के 15 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस कार्रवाई के दायरे में रायपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर और जगदलपुर जैसे प्रमुख जिले आए, जहां कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों, नेताओं और पूर्व मंत्री के करीबियों के आवासों पर रेड की गई।
रायपुर में पूर्व मंत्री के करीबी नागेश्वर राव और कमलेश नाहटा के ठिकानों पर छापे
राजधानी रायपुर में देवेंद्र नगर स्थित जी. नागेश्वर राव, जो कंस्ट्रक्शन व्यवसायी और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी माने जाते हैं, उनके घर पर सुबह तड़के रेड डाली गई। सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियों ने डिजिटल साक्ष्य और कई अहम दस्तावेज ज़ब्त किए हैं। इसके अलावा संतोषी नगर निवासी कमलेश नाहटा के घर भी ACB ने छापा मारा।
सुकमा में चार स्थानों पर और दंतेवाड़ा में कांग्रेस नेता राजकुमार तामो के घर पर छापेमारी हुई। ये सभी नाम कवासी लखमा के करीबी सर्कल में शामिल बताए जाते हैं। रेड की कार्रवाई हार्डवेयर दुकानों और पेट्रोल पंपों तक फैली हुई थी।
अम्बिकापुर में DMF घोटाले से जुड़ी फर्म पर कार्रवाई
अंबिकापुर में धजाराम-विनोद कुमार एंड संस नामक कपड़ा फर्म के संचालकों मुकेश अग्रवाल और विनोद अग्रवाल के ठिकानों पर EOW की टीम ने रेड डाली। ये फर्म DMF घोटाले में भी चर्चा में रही है और इसके खिलाफ पहले से ED और IT की कार्रवाई हो चुकी है। फर्म पर फर्जी लेन-देन और आबकारी विभाग से सांठगांठ का संदेह है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान
पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, शराब घोटाले की जांच राज्य और केंद्र की एजेंसियां कर रही हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे कानून के दायरे में लाया जाएगा। कोई भी बच नहीं पाएगा।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?
इस बहुचर्चित घोटाले की जड़ें तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के दौरान की आबकारी नीति में बदलाव से जुड़ी हैं। ED की जांच में सामने आया कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा, IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी, और व्यवसायी अनिल ढेबर व अरविंद सिंह ने मिलकर एक सिंडिकेट तैयार किया, जिसने शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में हेरफेर किया।
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इसके तहत नकली होलोग्राम का प्रयोग कर आबकारी विभाग को करोड़ों रुपये की चपत पहुंचाई गई, और कमीशन के रूप में भारी रकम की बंदरबांट की गई। इस मामले में कई बड़े नाम पहले से ही जेल में बंद हैं।