द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : मिस्र के शार्म एल-शेख में सोमवार (13 अक्तूबर 2025) से गाजा शांति शिखर सम्मेलन शुरू हो गया है। इस सम्मेलन में गाजा और मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति स्थापित करने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। भारत की ओर से विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह शिरकत करेंगे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया था लेकिन वे इस सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। पीएम मोदी के गाजा शिखर सम्मेलन में शामिल न होने पर शशि थरूर ने कहा कि उच्च-स्तरीय भागीदारी न होने से भारत की आवाज सीमित हो सकती है।
उच्च-स्तरीय प्रतिनिधित्व न होने से भारत की आवाज और प्रभाव सीमित
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्च-स्तरीय प्रतिनिधित्व न होने से भारत की आवाज और प्रभाव सीमित हो सकता है। उन्होंने कहा, यह किसी व्यक्ति विशेष की योग्यता का सवाल नहीं है, लेकिन जब वहां इतने राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री मौजूद हैं, तो भारत की ओर से इस तरह का प्रतिनिधित्व हमारी पहुंच और आवाज को सीमित कर सकता है।
केवल प्रोटोकॉल के कारण ही हमारी बातों को उतना महत्व नहीं मिल सकता जितना मिलना चाहिए। एक ऐसे क्षेत्र में जो खुद को नया आकार दे रहा है, हमारी अपेक्षाकृत अनुपस्थिति हैरान करने वाली है।
सम्मेलन में कौन कौन होगा शामिल?
सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित लगभग 20 अन्य देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं।
भारत के प्रतिनिधित्व को लेकर कूटनीतिक गलियारे में चर्चा है कि प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी के बावजूद विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह का प्रतिनिधित्व प्रभावी होगा या नहीं। शिखर सम्मेलन में स्थायी शांति और गाजा के पुनर्निर्माण के मुद्दों पर भारत की स्थिति को प्रमुखता देने के लिए विशेषज्ञ इस अवसर को महत्वपूर्ण मान रहे हैं।

