द लोकतंत्र: त्योहारी सीजन से पहले सोने की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम लोगों को परेशानी में डाल दिया है। नवरात्रि और दशहरे के बाद धनतेरस व दिवाली की खरीदारी पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। सर्राफा बाजार में पीली धातु के दाम नए शिखर पर हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि कीमतों में फिलहाल कमी के आसार नहीं दिख रहे।
सोने का मौजूदा भाव और संभावित बढ़ोतरी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 3,600 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो 2026 तक यह 4,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। भारत में कीमत 1.45 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने का अनुमान है। फिलहाल बाजार में 10 ग्राम सोना 1,09,475 रुपये के आसपास बिक रहा है। दिवाली तक यह 1.25 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है।
त्योहारों में मांग पर असर
कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के चलते नवरात्रि, दशहरा और धनतेरस से शुरू हो रहे फेस्टिव सीजन में मांग धीमी हो सकती है। कई उपभोक्ता कीमतों में नरमी की उम्मीद में खरीदारी टाल रहे हैं। पिछले साल की तुलना में सोने की कीमत में करीब 54% का उछाल दर्ज हुआ है। पिछले साल धनतेरस पर सोना 78,846 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जबकि इस बार यह 1 लाख के ऊपर है।
बाजार में तेजी के कारण
वैश्विक बाजार में मजबूती, डॉलर की कमजोरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती ने सोने को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। एमसीएक्स पर अक्टूबर डिलीवरी का सोना वायदा 1,09,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। कॉमेक्स पर दिसंबर डिलीवरी गोल्ड फ्यूचर 3,698 डॉलर प्रति औंस के ऑल-टाइम हाई पर है।
डिमांड में संभावित गिरावट
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल के वाइस चेयरमैन अविनाश गुप्ता का कहना है कि बढ़ती कीमतों के चलते मांग में 10-15% की गिरावट संभव है। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट अक्शा कंबोज के अनुसार, ग्राहक महंगे दामों से बचने के लिए 20-30% तक खरीदारी घटा सकते हैं। रिद्धिसिद्धि बुलियन के एमडी पृथ्वीराज कोठारी ने बताया कि ग्राहक हल्के वजन के गहनों या छोटे आर्टिकल्स की ओर रुख कर सकते हैं।
त्योहारी सीजन में सोने की कीमतों की यह तेजी बाजार की मांग को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, लंबे समय के निवेशक इसे स्थिर संपत्ति के रूप में देख सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ताओं को अपने बजट के अनुसार खरीदारी करनी चाहिए और बाजार के उतार-चढ़ाव पर नज़र रखनी चाहिए।