द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : चीन के शंघाई में मशहूर हैडिलाओ हॉटपॉट रेस्टोरेंट में दो नाबालिग लड़कों की घिनौनी हरकत ने रेस्टोरेंट की प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचाया। इस मामले में अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए हाल ही में दोनों नाबालिगों के माता-पिता पर 2.2 मिलियन युआन (लगभग 2.71 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है। यह सजा इसलिए दी गई क्योंकि इन बच्चों के कृत्य ने न केवल कंपनी की छवि को ठेस पहुंचाई, बल्कि ग्राहकों के विश्वास को भी हिला दिया।
नाबालिगों ने टेबल पर चढ़कर उबलते सूप के बर्तन में पेशाब कर दिया
दरअसल, यह घटना 24 फरवरी 2025 को हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो किशोर नशे की हालत में शंघाई के प्रतिष्ठित हैडिलाओ हॉटपॉट रेस्टोरेंट में पहुंचे। वहां उन्होंने टेबल पर चढ़कर उबलते सूप के बर्तन में पेशाब कर दिया। रेस्टोरेंट प्रबंधन को इसकी जानकारी उस समय नहीं मिली, लेकिन चार दिन बाद जब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो मामला तेजी से सुर्खियों में आ गया। वीडियो ने कंपनी की साख पर सवाल खड़े कर दिए और ग्राहकों के बीच असंतोष फैल गया।
वीडियो सामने आने के बाद रेस्टोरेंट ने तुरंत कार्रवाई की। हैडिलाओ ने एहतियात के तौर पर 24 फरवरी से 8 मार्च तक वहां आने वाले 4,000 से अधिक ग्राहकों को बिल की पूरी रकम वापस की और इसके अलावा दस गुना नकद मुआवजा भी दिया। कंपनी का उद्देश्य था कि ग्राहकों का भरोसा बहाल रहे और उनकी सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार का संदेह न हो। इसके बाद प्रबंधन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और नाबालिगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की।
कंपनी ने अदालत में हर्जाने की माँग की
मार्च 2025 में कंपनी ने अदालत में मामला दायर करते हुए नाबालिगों से सार्वजनिक माफी और 23 मिलियन युआन (करीब 27 करोड़ रुपये) के हर्जाने की मांग की। कंपनी का तर्क था कि इस घटना से उसकी ब्रांड छवि को गहरा नुकसान हुआ है और आर्थिक हानि भी झेलनी पड़ी। शंघाई की अदालत ने इस सप्ताह अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों नाबालिगों ने रेस्टोरेंट की संपत्ति और प्रतिष्ठा को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया।
अदालत ने माना कि उनकी हरकत से ग्राहकों को असुविधा हुई और कंपनी को व्यावसायिक हानि हुई। अदालत ने नाबालिगों के माता-पिता को 20 लाख युआन (करीब 2.4 करोड़ रुपये) व्यावसायिक क्षति के लिए, 1,30,000 युआन (करीब 15.4 लाख रुपये) टेबलवेयर और सफाई पर हुए खर्च के लिए, और 70,000 युआन (करीब 8.3 लाख रुपये) कानूनी शुल्क के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी ने ग्राहकों को जो मुआवजा दिया, वह सराहनीय कदम था, लेकिन उसे क्षतिपूर्ति का हिस्सा नहीं माना जा सकता। अदालत का यह सख्त रुख बताता है कि सार्वजनिक स्थलों पर अनुशासनहीनता और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों को हल्के में नहीं लिया जाएगा।