द लोकतंत्र : हरियाणा के खेल जगत को रोहतक जिले के लाखनमाजर गाँव में हुए एक खौफनाक हादसे ने झकझोर कर रख दिया है। राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी हार्दिक राठी (17 वर्ष) की बास्केटबॉल ग्राउंड में प्रैक्टिस के दौरान पोल टूटकर सीने पर गिर जाने से दुखद मृत्यु हो गई। इस घटना ने न केवल एक होन्हार प्रतिभा को छीन लिया, बल्कि हरियाणा सरकार और खेल मंत्रालय के बुनियादी ढांचे के रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की ओर से की गई हत्या बताया है।
अपराधिक लापरवाही के आरोप
कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य सरकार पर सीधा निशाना साधा है।
- सुरजेवाला का बयान: उन्होंने कहा, “हरियाणा के लाखनमाजरा में नेशनल बास्केटबॉल प्लेयर हार्दिक की मौत एक हादसा नहीं, भाजपा सरकार के सिस्टम द्वारा की गई एक हत्या है।”
- मेंटेनेंस की मांग: सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि लाखनमाजरा के खिलाड़ी मेंटेनेंस की मांग को लेकर नायब सैनी से तीन महीने पहले मिले थे, फिर भी कुछ नहीं हुआ। उन्होंने इस आपराधिक लापरवाही का कारण पूछा।
- बजट खर्च न होना: जिला खेल अधिकारी द्वारा चौदह स्टेडियमों के लिए ₹2.1 करोड़ के बजट की बात कहे जाने पर सुरजेवाला ने पूछा कि यह बजट खर्च क्यों नहीं हुआ? साथ ही एमपीएलएड (MPLAD) का बजट भी नहीं लगाया गया।
- सीधी जिम्मेदारी: सुरजेवाला ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार यह बजट खर्चती और मेंटेनेंस करती तो हार्दिक की जान बच सकती थी, जिसके लिए भाजपा सरकार सीधा जिम्मेदार है।
खेल बजट पर केंद्र पर सवाल
सुरजेवाला ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बहाने केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा को दिए जाने वाले खेल बजट पर भी सवाल उठाए हैं।
- भेदभाव का आरोप: उन्होंने कहा कि देश के कुल ₹3,397 करोड़ के स्पोर्ट्स बजट में से मोदी सरकार हरियाणा को सिर्फ ₹88 करोड़ देती है, जबकि गुजरात को इस बजट से ₹608 करोड़ दिए जाते हैं।
- मेडल में योगदान: सुरजेवाला ने तर्क दिया कि देश के आधे से ज्यादा मेडल हरियाणा के खिलाड़ी लाते हैं, इसके बावजूद बजट में यह भेदभाव क्यों किया जाता है।
हादसे के तुरंत बाद, मौके पर मौजूद अन्य खिलाड़ी हार्दिक को अस्पताल लेकर पहुंचे, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 17 वर्षीय हार्दिक राठी की मौत न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक बड़ा नुकसान है। यह घटना बुनियादी खेल सुविधाओं के रखरखाव के प्रति सरकारी तंत्र की उदासीनता को दर्शाती है।
यदि खिलाड़ियों की बार-बार की गई माँगों पर समय रहते ध्यान दिया जाता और आवंटित बजट का सदुपयोग होता, तो आज एक होन्हार नौजवान की ज़िंदगी बचाई जा सकती थी। इस घटना ने यह अनिवार्य कर दिया है कि खेल मंत्रालय को न केवल बजट आवंटन पर, बल्कि उसके उचित खर्च और जमीनी स्तर पर रखरखाव पर भी जवाबदेही तय करनी चाहिए।

