द लोकतंत्र : राम मंदिर बनने के बाद से ही अयोध्या में ‘आस्थावानों’ की भीड़ बढ़ गई है। अयोध्या में प्रभु श्री राम के साथ साथ ज़मीनों के श्रद्धालुओं की तादात भी बढ़ी है। एक तरफ़ जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी श्रीराम के दर्शन व मोक्ष की तलाश में अयोध्या का रुख़ कर रही है वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो मंदिर निर्माण के बाद बहुमूल्य हो चुकी ज़मीनों और ‘माया’ के चक्कर में अयोध्या और आस पास में बड़ी तादात में भूमि ख़रीद कर रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या एक प्राइम रियल एस्टेट लोकेशन बन चुकी है। जहां बड़े बड़े सेलिब्रिटीज़, नेताओं, अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि ख़रीद की गई है। इसमें मुख्य रूप से अरुणांचल प्रदेश के डिप्टी सीएम के बेटे चाउ कान सेंग मीन और आदित्य मीन ने सितंबर 2022 और सितंबर 2023 में 3.72 करोड़ की 3.99 हेक्टेयर जमीन ख़रीदी है। इसके अलावा, बीजेपी के पूर्व सांसद और यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे बृजभूषण सिंह के बेटे ने भी ज़मीन ली है। करण भूषण की कंपनी नंदिनी इंफ्रास्ट्रक्चर ने राम मंदिर से महज़ 8 किलोमीटर दूर 1.15 करोड़ रुपये में 0.97 हेक्टेयर जमीन खरीदी।
डिप्टी सीएम के बेटों, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण के अलावा यूपी पुलिस एसटीएफ प्रमुख एडिशनल डीजीपी अमिताभ यश की माँ गीता सिंह ने भी 9.955 हेक्टेयर खेती की जमीन अपने नाम करायी। और भी ढेरों नाम हैं जिन्होंने अयोध्या में भूमि के बड़े बड़े सौदे किए हैं।
सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने लगाया बड़ा आरोप
सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस खुलासे के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा, जैसे-जैसे अयोध्या की ज़मीन के सौदों का भंडाफोड़ हो रहा है, उससे ये सच सामने आ रहा है कि भाजपा राज में अयोध्या के बाहर के लोगों ने मुनाफ़ा कमाने के लिए बड़े स्तर पर ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त की है। भाजपा सरकार द्वारा पिछले 7 सालों से सर्किल रेट न बढ़ाना, स्थानीय लोगों के ख़िलाफ़ एक आर्थिक षड्यंत्र है। इसकी वजह से अरबों रुपये के भूमि घोटाले हुए हैं। यहाँ आस्थावानों ने नहीं बल्कि भू-माफ़ियाओं ने ज़मीनें ख़रीदी हैं।
उन्होंने आगे लिखा, इन सबसे अयोध्या-फ़ैज़ाबाद और आसपास के क्षेत्र में रहनेवालों को इसका कोई भी लाभ नहीं मिला। ग़रीबों और किसानों से औने-पौने दाम पर ज़मीन लेना, एक तरह से ज़मीन हड़पना है। हम अयोध्या में तथाकथित विकास के नाम पर हुई ‘धांधली’ और भूमि सौदों की गहन जाँच और समीक्षा की माँग करते हैं।
बता दें, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों से ओने पौने दामों में ज़मीन लेना एक तरह से ज़मीन हड़पने जैसा है। उन्होंने इन भूमि सौदों की जाँच और समीक्षा किए जाने की माँग भी की।
पहले भी उठ चुका है भूमि सौदों का विवाद
यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव के पूर्व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा मंदिर के लिए खरीदी गई एक जमीन पर विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा 18 करोड़ पचास लाख में 100 बिस्वा जमीन खरीदी गई थी जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था। आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे पवन पांडेय ने इस ख़रीद को लेकर आरोप लगाए थे कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने दो करोड़ रुपए की कीमत वाली भूमि 18.5 करोड़ रुपए में खरीदी थी।
किन नेताओं/अधिकारियों के रिश्तेदारों ने ख़रीदी है ज़मीनें
अयोध्या और आसपास ज़मीन ख़रीदने वालों में मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम चाउना मीन के बेटों के अलावा बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण सिंह, यूपी एसटीएफ़ प्रमुख एडिशनल डीजीपी अमिताभ यश की माँ गीता सिंह, यूपी गृह विभाग सचिव संजीव गुप्ता की पत्नी चेतना गुप्ता, यूपी शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक अरविंद कुमार पांडे की पत्नी ममता ने भी ज़मीन ली है।
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इसके अलावा रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर महाबल प्रसाद के बेटे अंशुल, एडिशनल एसपी (अलीगढ़) पलाश बंसल के पिता देशराज बंसल, एसपी (अमेठी) अनूप कुमार सिंह के रिश्तेदार शैलेंद्र सिंह व मंजु सिंह, यूपी के पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह, प्रधान मुख्य कार्मिक अधिकारी (उत्तर मध्य रेलवे) अनुराग त्रिपाठी के पिता मदन मोहन त्रिपाठी, हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष जयदीप आर्य, बीजेपी विधायक अजय सिंह के भाई कृष्ण कुमार सिंह और उनके भतीजे सिद्धार्थ, बीजेपी नेता और गोसाईंगंज नगर पंचायत अध्यक्ष विजय लक्ष्मी जयसवाल के रिश्तेमाल मदन जयसवाल, बीजेपी नेता और अमेठी जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश अग्रहरि ने भी अयोध्या में जमीन खरीदी है।