द लोकतंत्र : देश के मशहूर उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन, रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका देहांत मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ, जहां वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रतन टाटा का जाना न केवल भारतीय उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि उन्होंने अपने अद्वितीय नेतृत्व और दूरदर्शिता से देश की औद्योगिक संस्कृति में जो योगदान दिया, वह सदैव स्मरणीय रहेगा।
पीएम मोदी ने बताया असाधारण इंसान
पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट कर कहा कि रतन टाटा दूरदर्शी कारोबारी नेता, एक दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। बकौल पीएम मोदी, रतन टाटा ने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया।
उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को सूरत, गुजरात में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा न्यूयॉर्क के रिवरडेल कंट्री स्कूल, कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से प्राप्त की थी। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई और इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। टेटली, कोरस और जगुआर-लैंड रोवर जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स का अधिग्रहण उन्हीं के कार्यकाल की उपलब्धियों में से हैं।
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रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दो बार सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से भी नवाजा गया। वे न केवल एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि समाजसेवी और परोपकारी भी थे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया। इसके साथ ही, छोटे और मझोले उद्योगों के लिए उनकी पहल, जैसे टाटा नैनो, उन्हें जनता के बीच एक विशेष पहचान दिलाती है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि उद्योग और सामाजिक जिम्मेदारी एक साथ चलते हैं।
रतन टाटा आजीवन अविवाहित रहे
रतन टाटा के जीवन की एक और दिलचस्प बात यह है कि वे आजीवन अविवाहित रहे। उन्होंने एक बार बताया था कि जीवन में चार बार शादी के करीब पहुंचे, लेकिन पारिवारिक या व्यक्तिगत कारणों से वे कभी यह निर्णय नहीं ले पाए। उनके विचार और जीवनशैली सदैव सादगी, ईमानदारी और समाज के प्रति संवेदनशीलता की मिसाल बने रहेंगे।
उनका निधन भारतीय उद्योग जगत के एक युग के अंत जैसा है। उन्होंने केवल एक सफल बिजनेस एम्पायर ही नहीं खड़ा किया, बल्कि उन्होंने व्यवसाय में नैतिकता, ईमानदारी और संवेदनशीलता की एक नई परिभाषा भी गढ़ी। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। देश उन्हें सदैव एक महान नेता, उद्यमी और समाजसेवी के रूप में याद करेगा।