द लोकतंत्र : भारत और ओमान के मध्य सदियों पुराने संबंध गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को एक ऐतिहासिक पड़ाव पर पहुंच गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान हसीम बिन तारिक अल सईद की मुलाकात के दौरान दोनों राष्ट्रों ने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर ओमान सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान करने में प्रधानमंत्री मोदी के योगदान को स्वीकारते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ से विभूषित किया। यह समझौता पिछले छह महीनों में भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक अनुबंध है, जो वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है।
आर्थिक प्रभाव: निर्यात और रोजगार में संभावित उछाल
भारत-ओमान व्यापार समझौता श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए एक संजीवनी सिद्ध होने वाला है।
- निर्यात के प्रमुख क्षेत्र: इस समझौते से भारतीय वस्त्र, चमड़ा, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल क्षेत्र को ओमान के बाजार में बिना किसी अवरोध के पहुंच मिलेगी। इससे न केवल विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा, बल्कि कारीगरों और MSME इकाइयों के लिए रोजगार के लाखों नए अवसर सृजित होंगे।
- व्यापारिक आंकड़े: वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों का व्यापार लगभग 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर था। नया समझौता इस आंकड़े को आगामी तीन वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य रखता है।
ओमान: वैश्विक बाजारों का रणनीतिक द्वार
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ओमान की रणनीतिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे चार बड़े बाजारों का प्रवेश द्वार बताया।
रणनीतिक महत्व:
- जीसीसी (GCC) कनेक्टिविटी: यूएई के बाद ओमान दूसरा जीसीसी देश है जिसके साथ भारत ने एफटीए किया है। यह सऊदी अरब और कतर जैसे बाजारों के लिए रास्ता साफ करता है।
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए ओमान से पेट्रोलियम उत्पादों और यूरिया पर निर्भर है, जिसकी हिसेदारी कुल आयात में 70% है। यह समझौता ऊर्जा आयात की लागत को स्थिर करने में मदद करेगा।
भविष्य का दृष्टिकोण: विकसित भारत की ओर कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह ‘लुक वेस्ट’ नीति आर्थिक डिप्लोमेसी का उत्कृष्ट उदाहरण है। खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में ओमान के साथ साझेदारी से भारतीय कंपनियों को अफ्रीका और मध्य एशिया तक विस्तार करने में मदद मिलेगी। सुल्तान हसीम बिन तारिक अल सईद की यह यात्रा न केवल व्यापारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर तक सीमित है, अपितु यह हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक साझा प्रतिबद्धता भी है।
भारत-ओमान एफटीए वैश्विक मंदी के दौर में भारतीय निर्यातकों के लिए एक सुरक्षा कवच है, जो ‘मेक इन भारत’ को विश्व पटल पर स्थापित करेगा।

