द लोकतंत्र: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अब खुलकर सामने आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद, अब रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क भी लगाया गया है। यह कुल मिलाकर 50 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, जो कि भारत के निर्यात पर सीधा प्रभाव डालेगा।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल 131.8 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था, जिसमें भारत का निर्यात 86.5 बिलियन डॉलर और आयात 45.3 बिलियन डॉलर रहा। अब बढ़े हुए टैरिफ से मुख्य रूप से कपड़ा, हीरे-आभूषण, चमड़ा, झींगा मछली, केमिकल्स और इलेक्ट्रिकल मशीनरी जैसे सेक्टर्स पर असर पड़ेगा।
CITI (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री) ने इस फैसले को भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए बड़ा झटका बताया है। पहले से मंदी का सामना कर रहा यह सेक्टर अब अमेरिकी मार्केट में अपनी पकड़ और खो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस सेक्टर से अमेरिका को 10.2 बिलियन डॉलर का निर्यात होता है, जिसमें अब 40-50% तक की गिरावट हो सकती है।
झींगा मछली पर पहले से ही 2.49% एंटी डंपिंग ड्यूटी और 5.77% काउंटरवेलिंग ड्यूटी लग रही थी। अब अतिरिक्त 25% टैरिफ लगने के बाद कुल शुल्क 33.26% तक पहुंच गया है। कोलकाता के मछली निर्यातक योगेश गुप्ता के अनुसार, इतनी अधिक लागत के बाद अमेरिका में भारतीय मछली की मांग गिरना तय है।
सोने के आभूषण और मशीनरी सेक्टर पर भी बड़ा असर देखा जा रहा है। फर्नीचर पर 52.3%, मशीनरी पर 51.3% और आभूषणों पर 51.1% टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा की क्षमता को कमजोर कर दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ युद्ध से भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार में विश्वास की कमी आएगी और भारत को अन्य बाजारों की ओर रुख करना पड़ सकता है। भारत सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन व्यापार जगत से जुड़े लोग चाहते हैं कि जल्द कोई समाधान निकाला जाए।