द लोकतंत्र : जब दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी को पार कर जाता है, तब अक्सर लोग घरों में कैद रहना ही सुरक्षित समझते हैं। परंतु, हालिया अध्ययन बताते हैं कि उचित सावधानी के अभाव में इनडोर एयर क्वालिटी (IAQ) बाहरी हवा जितनी ही विषाक्त हो सकती है। आंखों में निरंतर होने वाली जलन, गले में खराश और अकारण सिरदर्द केवल थकान के लक्षण नहीं, बल्कि घर के भीतर खराब होती हवा के प्रमाण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इनडोर प्रदूषण एक ‘साइलेंट किलर’ की भांति कार्य करता है।
घर पर वायु गुणवत्ता परीक्षण: व्यावहारिक विधियां
वैज्ञानिक उपकरणों के बिना भी आप कुछ साधारण निरीक्षणों से हवा की शुद्धता का आकलन कर सकते हैं:
- धूल निक्षेपण परीक्षण: यदि सफाई के महज कुछ घंटों बाद ही फर्नीचर, पर्दों या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर धूल की बारीक परत दिखाई देने लगे, तो यह हवा में उच्च पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) का संकेत है।
- टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect): खिड़की से आती धूप की किरणों में तैरते हुए कण यह दर्शाते हैं कि आपकी सांसों के साथ क्या भीतर जा रहा है।
- किचन वेंटिलेशन: तड़का लगाने या भोजन पकाने के दौरान यदि धुआं और तेज गंध लंबे समय तक कमरे में बनी रहती है, तो यह वेंटिलेशन तंत्र की विफलता है।
तकनीकी समाधान: एयर मॉनिटर और प्यूरीफायर
आधुनिक युग में इनडोर एयर क्वालिटी मॉनिटर एक महत्वपूर्ण निवेश बन गए हैं। ये उपकरण रियल टाइम में कार्बन डाइऑक्साइड और आर्द्रता के स्तरों को प्रदर्शित करते हैं।
विशेषज्ञ परामर्श: फेफड़ा रोग विशेषज्ञों का सुझाव है कि गंभीर वायु संकट के दौरान HEPA फिल्टर युक्त एयर प्यूरीफायर का उपयोग अनिवार्य है। यह 99.9% तक सूक्ष्म कणों को सोखने में सक्षम होता है।
सुरक्षा कवच: कैसे बनाएं घर को प्रदूषण-मुक्त?
घबराने के बजाय रणनीतिक कदम उठाना आवश्यक है:
- हरित समाधान: स्नेक प्लांट, एलोवेरा और स्पाइडर प्लांट जैसे इनडोर पौधे प्राकृतिक फिल्टर के रूप में कार्य करते हैं।
- एग्जॉस्ट प्रबंधन: रसोई और बाथरूम में उच्च क्षमता वाले एग्जॉस्ट फैन का नियमित प्रयोग करें।
- नमी पर नियंत्रण: ह्यूमिडिटी को संतुलित रखने से फफूंद (Mold) और बैक्टीरिया का पनपना कम होता है।
- भविष्य का प्रभाव: शहरी नियोजन और वास्तुकला में अब ‘ब्रीदिंग बिल्डिंग्स’ के कॉन्सेप्ट पर जोर दिया जा रहा है। जैसे-जैसे बाहरी प्रदूषण बढ़ेगा, घरों के भीतर शुद्ध हवा सुनिश्चित करना विलासिता नहीं, बल्कि जीवन रक्षा की प्राथमिकता होगी।

