द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां एनडीए खेमे में रिकॉर्ड जीत की खुशी भर दी, वहीं विपक्षी महागठबंधन के भीतर गहरी निराशा और असंतोष की लहर दिखी। इस राजनीतिक हलचल के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Raga) की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने नतीजों पर हैरानी जताते हुए चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि यह चुनाव ‘शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था’ और बिहार के इस परिणाम ने उन्हें गहराई से चौंकाया है।
यह लड़ाई महज सत्ता की नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की थी
शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा कि वे बिहार के उन करोड़ों मतदाताओं का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने महागठबंधन पर भरोसा दिखाया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई महज सत्ता की नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की थी। राहुल ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन इस परिणाम की विस्तृत समीक्षा करेगा और आगे लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में और प्रभावी कदम उठाएगा।
बिहार चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। 243 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन नतीजे आने के बाद पार्टी सिर्फ 6 सीटों पर सिमटकर रह गई। वाल्मिकीनगर, चनपटिया, फोर्ब्सगंज, अररिया, किशनगंज और मनिहारी यह वे छह सीटें हैं जहां कांग्रेस जीत दर्ज कर सकी, लेकिन इनमें भी दो सीटों पर जीत का अंतर बेहद मामूली रहा।
फोर्ब्सगंज में कांग्रेस उम्मीदवार सिर्फ 221 वोट से जीते, जबकि चनपटिया में जीत का अंतर 602 वोट का रहा। ये आंकड़े कांग्रेस के कमजोर जनाधार और तगड़ी टक्कर को साफ बयां करते हैं।
महागठबंधन के भीतर मंथन, आखिर कहां चूक हुई
चुनाव में एनडीए की भारी जीत और कांग्रेस की बड़ी हार ने कई राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंकाया है, क्योंकि अभियान के दौर में महागठबंधन ने जमीन पर मजबूत पकड़ का दावा किया था। लेकिन नतीजों ने सारे राजनीतिक समीकरणों को उलट दिया। राहुल गांधी द्वारा उठाए गए ‘चुनाव की निष्पक्षता’ वाले सवाल आने वाले दिनों में नई राजनीतिक बहस को जन्म दे सकते हैं।
राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया साफ संकेत देती है कि विपक्ष इस हार को सिर्फ एक परिणाम के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि इसे लोकतंत्र की स्थिति पर गंभीर सवाल के रूप में उठा रहा है। महागठबंधन के भीतर भी अब मंथन शुरू हो चुका है कि आखिर कहां चूक हुई, और क्यों कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी राज्य में लगातार पिछड़ती जा रही है।

