द लोकतंत्र: जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में वृंदावन के लोकप्रिय संत प्रेमानंद महाराज को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी। इतना ही नहीं, उन्होंने प्रेमानंद महाराज को एक बालक के समान बताते हुए चुनौती दी कि यदि उनमें शक्ति है तो वे उनके सामने संस्कृत का एक अक्षर बोलकर या श्लोक का अर्थ समझाकर दिखाएं।
“मेरे बालक जैसे हैं प्रेमानंद” – जगद्गुरु
एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में रामभद्राचार्य ने कहा, “प्रेमानंद जी मेरे बालक जैसे हैं। मैं उनसे द्वेष नहीं रखता, लेकिन उन्हें विद्वान या चमत्कारी कहना उचित नहीं है। चमत्कार वही कहलाता है जो शास्त्रीय चर्चा करने में सक्षम हो।” उन्होंने आगे कहा कि शास्त्र जानने वाला ही असली साधक और विद्वान होता है।
लोकप्रियता है क्षणभंगुर
प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता को लेकर भी रामभद्राचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह लोकप्रियता क्षणभंगुर है और ज्यादा समय तक नहीं टिकती। उन्होंने कहा, “थोड़े दिन का आकर्षण है, भजन करते हैं, अच्छा लगता है, लेकिन इसे चमत्कार कहना गलत है।”
गांधी जी और देश के विभाजन पर टिप्पणी
रामभद्राचार्य ने इस दौरान महात्मा गांधी को लेकर भी विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश का विभाजन गांधी जी की वजह से हुआ। उनके अनुसार, गांधी जी जवाहरलाल नेहरू से अत्यधिक प्रेम करते थे और उनकी गलतियों को नजरअंदाज कर दिया।
उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का योगदान केवल 1% था जबकि क्रांतिकारियों का योगदान 99% था।”
इतना ही नहीं, उन्होंने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि भारत पर आक्रमण मुसलमानों और ईसाइयों ने किए जबकि सनातन धर्मावलंबियों ने कभी आक्रमण नहीं किया।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के इन बयानों ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग उनके समर्थन में हैं, वहीं कई लोग उनके विचारों को विवादास्पद मान रहे हैं। प्रेमानंद महाराज पर दिए गए उनके बयान से ब्रज क्षेत्र के संत समाज में चर्चा तेज हो गई है।