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Jharkhand Politics: कोल्हान की सियासत को बड़ा झटका, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन से JMM सदमे में

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द लोकतंत्र: झारखंड की राजनीति इस समय गहरे शोक में है। राज्य की सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को अगस्त 2025 में लगातार दूसरे बड़े झटके का सामना करना पड़ा है। महज 12 दिनों के भीतर पार्टी ने अपने दो कद्दावर नेताओं को खो दिया। पहले 4 अगस्त को पार्टी के संस्थापक संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन हुआ और अब 15 अगस्त की देर रात शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया।

कोल्हान की सियासत में खालीपन
रामदास सोरेन को कोल्हान क्षेत्र का मजबूत चेहरा माना जाता था। झामुमो ने उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की जगह कैबिनेट में शामिल किया था। नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने घाटशिला सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की थी। 5 दिसंबर 2024 को उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी। अब उनके अचानक निधन से कोल्हान की सियासत में बड़ा खालीपन पैदा हो गया है।

JMM के सामने नेतृत्व का संकट
राज्य की राजनीति में कोल्हान क्षेत्र का खास महत्व है। यहां पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले आते हैं, जहां झामुमो का मजबूत जनाधार रहा है। लेकिन शिबू सोरेन और रामदास सोरेन के निधन के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि इस इलाके की बागडोर अब किसके हाथों में जाएगी।

फिलहाल, पार्टी के पास कई वरिष्ठ चेहरे मौजूद हैं – लोकसभा सांसद जोबा मांझी, कैबिनेट मंत्री दीपक बिरुवा, विधायक समीर मोहंती, मंगल कालिंदी, निरल पूर्ति और सोनाराम सिंकू जैसे नेता। लेकिन यह तय करना आसान नहीं होगा कि कोल्हान में सियासी नेतृत्व कौन संभालेगा।

पहले भी लगे थे झटके
झामुमो को इससे पहले भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। 6 अप्रैल 2023 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो, जिन्हें लोग “टाइगर” कहकर पुकारते थे, का निधन हो गया था। उनकी जगह उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि 2024 के विधानसभा चुनाव में बेबी देवी को हार का सामना करना पड़ा और उनकी राजनीतिक विरासत आगे नहीं बढ़ सकी।

दोहरी क्षति से सदमे में JMM
महज 12 दिनों के भीतर दो कद्दावर नेताओं के निधन ने झामुमो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। संगठन और सरकार दोनों स्तर पर पार्टी को झटका लगा है। शिबू सोरेन के निधन ने पार्टी के संस्थागत नेतृत्व को प्रभावित किया, वहीं रामदास सोरेन के जाने से कोल्हान में सियासी संतुलन डगमगा गया है।

झारखंड की राजनीति इस समय संक्रमण काल से गुजर रही है। झामुमो को अब यह तय करना होगा कि कोल्हान की सियासत में रामदास सोरेन की राजनीतिक विरासत कौन आगे बढ़ाएगा। फिलहाल पूरा राज्य शोक में है और आने वाले समय में पार्टी के भीतर बड़े फैसले होने की संभावना है।

Team The Loktantra

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